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स्वप्न में अपने किसी परिजन या परिचित को भैंसे पर बैठकर जाते देखा, तेल लगाये देखा और अगले दिन उसकी मृत्यु की सूचना आ गयी। इसी तरह और भी स्वप्नों का अलग अलग फल सामने आता है। इस प्रकार यह प्रमाणित है कि कुछ स्वप्न भविष्य का संकेत देते हैं, पर यह कहना कठिन है कि कौन सा, किस समय का स्वप्न भविष्य सूचक है ?
स्वप्नों के इसी परिणाम के कारण प्राचीन काल से ही इनका अध्ययन मनन किया गया। पक्षीशास्त्र और शकुन शास्त्र की भांति स्वप्न भी शास्त्र में आ गये । हमारे देश के अनेक प्राचीन तपस्वियों, मुनियों, चिंतकों और ऋषियों ने इस संबंध में अनुसंधान किये और अपने अपने मत दिये। __ स्वप्नों का वर्णन अनेक धार्मिक ग्रंथों में मिलता है । श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध महावीर आदि की माताओं ने जन्म से पूर्व स्वप्न देखे और इस प्रकार भगवान और महापुरुषों के जन्म का भविष्य संकेत दिया । स्पष्ट है कि स्वप्न संबंधी मान्यताएं अत्यन्त प्राचीन काल से चली आ रही हैं।
स्वप्नों का विश्लेषण हमें अपने प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। __ अथो इवल्वाहुर्जागरिव देश एवास्यैष इति यानि
ह्नव जाग्रत पश्यति तानि सुप्त:। (बृ०४/३/१४) 'अब यही इसका जाग्रत के देश के समान देश है, ऐसा वह कहते है, क्योंकि ज़ाग्रत में जीव जो पदार्थ देखता है, वही स्वप्न में देखता
श्रीमत् शंकराचार्य ने ब्रह्मसूत्र के भाष्य में स्वप्नों पर अपनी टिप्पणी इस प्रकार,दी है.पा
मायामात्र बु कात्स्येनानभिव्यक्त स्वरूपत्वात् (ब्रहृसूत्र, अध्याय ३ पाद २ सूत्र ३)
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