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- फल पानेको अवधि-पहले पहरमें आये हुये स्वप्नका फल एक वर्ष तक होता है। दूसरे पहर में आये हुये स्वप्नका फल पाठ मास में, तीसरे पहरमें देखे गये स्वप्नका फल दश दिनमें और सूर्योदयके समय आये हुए स्वप्नका फल तत्काल फलदायक होता है।
श्वेतांबरीय अपेक्षासे-चन्द्रगुप्त राजाके सोलह स्वप्न--पाटलीपुत्र पटने में उससमय चन्द्रगुप्त राज्य करता था । वह बारह शाखामोंका पालन करता था। उसने एक दिन पाक्षिक उपवास (प्रौषधोपवास) किया । रातको वारहबजे बाद उसने सोलह स्वप्न देखे।
अगले दिन चौदह पूर्वधर श्रीभद्रबाहु प्राचार्य के द्वारा उन का फल इस प्रकार सुना। १-कल्पवृक्षको शाखाका टूटना-प्रबसे आगे क्षत्रिय-राजा संयम न लेगा। २-सूर्यका अकालमें अस्त-पांचवें पारेका जन्मा हुमा केवलज्ञान
न पायेगा । परमावधिज्ञान और मनःपर्यायज्ञान भी न
होगा। ३-चांदमें छलनी जैसे अनगिनत छेद देखना-लोगोंके अलग-अलग
विचार होंगे । धर्मभावमें मतभेदके छेद पड़ेंगे । समाचारी
अलग रीतिकी होंगी। ४-भूत-भूतानियोंका नाचना-देवगुरु और धर्म में प्रसत्यका मिश्रण
होगा, अहिंसाके टूक-टूक होंगे। ५-बारह फनका साँप-बारहवर्षका दुर्भिक्ष पड़ेगा। ६-देव-विमान वापस लौटा -जंघाचरण-विद्याचरण-लब्धि और
वैक्रेयिक तथा आहारकलब्धि आदिका विच्छेद होगा।