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उसे दुःखदायी स्वप्न होते हैं । ज्वर की अवस्था में अच्छे स्वप्न नहीं आते, जिस प्रकार रोगी की कल्पनाएँ अस्वस्थ होती हैं,उसी प्रकार उसके स्वप्न भी अस्वस्थ होते हैं । जब शरीर रोगग्रस्त हो जाता है, तो मनुष्य भयंकर मानसिक चित्रों को अपने सामने देखने लगता है। वे मानसिक चित्र उसे स्वप्न में भी दिखाई देते हैं। इसलिये सुन्दर स्वप्न देखने के लिये शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता है।
कुछ स्वप्न हमें आदेश के रूप में आते हैं। वे वास्तव में हमारी अन्तरात्मा के आदेश मात्र होते हैं। कभी-कभी हम देखते हैं कि कोई महान् पुरुष हमें कोई आदेश दे रहा है। इस प्रकार के स्वप्न हमारी आन्तरिक इच्छा के सूचक होते हैं । जब हम किसी विकट परिस्थिति में पड़ जाते हैं, जिसमें हम नहीं जानते कि हमें क्या करना उचित है, और क्या नहीं, और जब विचार करते करते हमारा मन शिथिलसा हो जाता है, तो हम किसी बाहरी प्रकाश की आशा करते हैं, जब इस प्रकार की इच्छा प्रबल हो जाती है, और उसकी पूति किसी बाहरी साधन से नहीं होती, तो वह हमारे आदेशात्मक स्वप्न का कारण बन जाती है। इस प्रकार के आदेशात्मक स्वप्न कभी-कभी वास्तव में सही रास्ते दर्शाते हैं । जिस निष्कर्ष तक हम अपनी जागरितावस्था में नहीं पहुँचते, वह निष्कर्ष कभी-कभी स्वप्न में ज्ञात होता है । इसका कारण यह है, कि हमारा साधारणज्ञान हमारी विचार-शक्ति पर निर्भर होता है । हमारी चेतन मन की युक्तियाँ चेतन मन के ज्ञान से परिमित रहती हैं। वस्तुस्थिति में ऐसी अनेक बातें होती है, जिनका ज्ञोन हमारी चेतना को कभी नहीं होता। अचेतन मन ही हमारे जीवन के अधिक काम निश्चित करता है। अचेतन मन का आदेश जब जागरित