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नूतनोनी ओ परिस्थिति न थाय अने आपणी पण शुष्कता दूर थई भगवाननी आज्ञा अने पदार्थो आपणा रोमरोममां स्पर्श अना माटेनु आ प्रयास छ।
'सयणा....' गाथा, दैवसिकातिचार, रात्रिकतिचाररुप आवश्यकसूत्रो जे आपणने नित-उपयोगमां आवे छे अना उपर सरल अने स्पष्ट भाषामां आनवी टीकाओरची छे।
मोक्षकलक्षी आत्माओने मोक्षनी साधनामां आ मारी टीका मोक्षोपयोगी थाय अने मोक्षनी गतिमां वेग आपनारी बने ओवी मोक्षप्राप्त आत्माओने प्रार्थना करी प्रस्तावना नो मोक्ष करने छु....
युगप्रधानाचार्यसम प.पू.पं.चन्द्रशेखरवि.म.सा. ना शिष्य
मु.गुणहंस वि.
मा.व.7, एस.पी.आर. चेन्नई