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द्वितीय संस्करणके विषयमें दो शब्द ।
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उस परम पिता परमात्माको कोटिशः धन्यवाद है कि, जिसकी असीम अनुकम्पासे “ सुबोधिनी सहित चक्रदत्त" के द्वितीय संस्करण प्रकाशित करनेका सुअवसर समुपलब्ध हुआ । अनेक त्रुटियोंके रहते हुए भी प्रथम संस्करणको पाठकोंने जिस प्रकार अपनाया उससे परम सन्तोष हुआ । इस संस्करणमें पहिलेकी प्रायः सभी त्रुटियां दूर कर दी गई हैं, फिर भी भूल होना मनुष्यमें स्वाभा• विक है अतः सहृदय महानुभावोंसे सादर निवेदन है कि, यदि कोई त्रुटि उनकी दृष्टिमें आवे तो उसे कृपया लेखक या प्रकाशकके पास लिखकर भेज दें । उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट करते हुए तीसरे संस्करणमें उन त्रुटियोंका सुधार कर दिया जायगा।
विनम्र निवेदक:जगन्नाथ शर्मा वाजपेयी.
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