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उणाद्यकारादिसूत्रानुक्रमणिका
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कोरषः ॥ ५४४ ॥ को रुरुण्टिरण्टिभ्यः ॥ २८ ॥ कोडिखिः ।। ६२६ ॥ कोर्डिम् ॥ ६३६ ॥ कोर्यषादिः ।। ६४८ ॥ कोर्वा ॥ ४६६ ।। कोर्वा ।। ५२६ ।। कौतेरियः ।। ३७५ ।। क्रकचादयः ।। ११५ ।। क्रमिगमिक्षमे--तः ॥ ९४२ ।। ऋमितमि--वा ।। ६१३ ॥ ऋमिमथिभ्यां चन्मनौ च ।। १२ ।। क्रमेः कृम् च वा ।। ५३ ।। क्रमेरेलकः ।। ६६ ।। क्रीकल्यलि--इक: ।। ३८ ॥ ऋशिपिशि--कित् ।। २१२ ॥ क्रु शेर्वृद्धिश्च ।। २६५ ॥ क्लिश: के च ॥ ५३० ।। क्वण्र्डयिः ॥ ६९१ ।। क्विपि म्लेच्छश्च वा ।। ८८० ।। क्षः कित् ॥ १६७ ॥ क्षिपे: कित् ।। ६४२ ।। क्षिपेरण क ॥ ७७० ।। क्षुचुपिपूभ्यः कित् ॥ ३०१ ।। क्षुहिभ्यां वा ॥ ३४१ ।। खजेररीट: ।। १५२ ।। खनो लुक च ।। ८०८ ॥ खलिफलि--ऊषः ।। ५६० ॥ खलिहिंसिभ्यामीनः ।। २८६ ॥
खल्यमिरमि--रतिः ।। ६५३ ।। , खुरक्षुरदूर--यः ।। ३६६ ।। गन्धेरर्चान्तः ।। ५०८ ।। गमिजमिक्षमि--डित् ।। ६३७ ।। गमेः सन्वच्च ।। ७६२ ।। गमेरा च ।। ४५३ ।। गमेरिन् ।। ६१६ ॥ गमेर्जम् च वा ॥ १३ ॥ गमेडिदद्वे च ।। ८८५॥ गम्यमिरम्य--गः ।। ६२ ॥ गयहृदयादयः ।। ३७० ॥ गादाभ्यामेष्णक ॥ १६६ ॥ गुङ ईधुकधुकौ ।। ७४ ॥ गुडेरूचट् ।। १२० ।। गुधिगृधेस्त च ॥ ५६८ ॥ गपिमिथिध्र भ्यः कित् ॥ ४८३ ।। गुलुञ्छपिलि-यः ।। १२६ ॥ गृहलगुग्गुलुकमण्डलवः ॥ ८२४ ।। गृधेर्गभ् च ।। ६६१ ।। ग ज द व -श्च ॥ १५३ ।। गृ दृ रमि-भः ॥ ३२७ ।। गृ पृ. दुर्विधुर्विभ्यः क्विप् ।। ६४३ ॥ गोः कित् ।। २३६ ॥ गोपादेरनेरसिः ॥ ७०८ ।। ग्रसिहाग्भ्यां ग्रा-च ।। ३३६ ।। ग्रहेरा च ।। ६०५ ॥ ग्रह्याद्भ्यः कित् ।। ४६४ ॥ ग्रोगृष् च ॥ ६४६ ।। ग्रोणित् ॥ १५६ ।।
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