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________________ ५७६ स्त्रियों के अधिकार [ ग्यारहवां प्रकरण जो कर्ज किसी स्त्रीने अपनी ज़ाती जिम्मेदारीपर लिया हो और वह कानूनी ज़रूरतके लियेभी लिया गया हो तो उस कर्जे की डिकरीमें उस स्त्री का जिन्दगीभरका हकही नीलाम होसकता है और बेचा जा सकता है जादा नहीं, देखो--कल्लू बनाम फैय्याज़ अलीखां 30 All. 394; अगर किसी स्त्री ने ऐसी अनेक डिकरियोंके अदा करने के लिये जायदादका इन्तकाल किया हो जिनमें से कुछ कानूनी ज़रूरतके लिये कर्जा लिया गया था तो अदालत जायदाद के खरीदारक हकमें कुछभी दखल नहीं देगी यानी जायज़ माना जायगा, देखो--बरदाकांत बनाम जतेन्द्रनरायन 22 Cal. 974; सरकारी मालगुजारी के बकायाकी डिकरीमें अगर स्त्रीकी जायदाद नीलाम हो तो उस नीलामसे कुल हक़का इन्तकाल होजाता है, यानी खरीदार पूरा मालिक हो जाता है रिवर्जनरका हक नहीं रहता, यही बात जायदाद बेच देनमें होती है, देखो-देवीदास चौधरी बनाम विप्रचरण घोशाल 22 Cal. 641; 11 C. W. N. 821,
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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