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हिन्दूलों के स्कूलोंका वर्णन
[ प्रथम प्रकरण
अब तक कोई हिन्दू, हिन्दूजातिसे निकाल न दिया जाय, तब तक उसकी जायदाद और उत्तराधिकार सम्बन्धी अधिकार कदापि नष्ट नहीं हो सकता ।
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२-- ऐक्ट नम्बर १५ सन् १८५६ ई० जिसे 'विडो रिमैरेज ऐक्ट' ( Widow Rem、rriage Act ) विधवा विवाहका क़ानून कहते हैं इसका सिद्धांत यह है कि, विधवा पुनर्विवाह कर सकती है और उस विवाहसे उत्पन्न उसकी सन्तान औरस मानी जायगी और उसे क़ानूनी हक़ सब प्राप्त होंगे पूरा क़ानून देखो विवाह प्रकरण के अंत में और भी देखो दफा ६५२
३- हिन्दू विल्सपेक्ट नं २१ सन् १८७० ई० ( अव इन्डियन सक् सेशनऐक्ट नं ३९ सन् १९२५ ई० की दफा ५७ ) और प्रोवेट एन्ड एडमिनिस्ट्रेशन ऐक्ट नं ५ सन् १८८१ ई० ( अव इन्डियन सक् सेशनऐक्ट नं ३९ सन् १९२५ ई० की दफा ५८) ये ऐक्ट हिन्दू वसीयतों से सम्बन्ध रखते हैं तथा इनमें वसीयत लिखनेवालों और प्रवन्धक श्रादिके अधिकारों, कर्तव्यों का वर्णन किया गया है ।
४ - ऐक्ट नम्बर ९ सन् १८७५ ई जिसे 'इन्डियन मेजारिटी ऐक्ट * ( indian Majority Act) भारतीय बालिका क़ानून कहते हैं । इसमें यह निश्चित किया गया है कि, हिन्दू अठारह वर्षकी उमर में बालिग़ जायगा देखो प्रकरण ५ ( नावालिगी और वलायत )
५ - ऐक्ट नम्बर २१ सन् १८६६ ई० जिसे 'नेटिव कनवर्टस मैरेज डिस्सोल्युशन ऐक्ट' ( Native Converts Marriage dissolution Act ) ईसाई है।नेवाले हिन्दुओंके वैवाहिक सम्वन्ध भंगका क़ानून कहते हैं । इस क़ानूनका यह नियम है कि, किसी हिन्दूके ईसाई होजानेपर उसका हिन्दू वैवाहिक सम्बन्ध अपनी स्त्री या पतिसे टूट जाता है ( देखा प्रकरण २ दफा ६१, ६४ )
६ -- ट्रान्स्फर आव प्रापर्टी ऐक्ट नं० ४ सन् १८८२ ई० यह ऐक्ट हिन्दूलॉ की जायदादके इन्तक़ाल ( हस्तान्तरित ) में पूर्ण प्रभुत्व रखता है । कुछ मामलोंमें नहीं लागू होता जिनका वर्णन हिन्दू गिफ्ट ऐक्टकी दफा २ । १२६ में हैं ।
७ -- गार्जिन एन्ड वार्डस ऐक्ट नं० ८ सन् १८६० ई० यह ऐक्ट हिन्दुओं की वलायत अर्थात् नावालिग्रीमें अदालत द्वारा वलीका नियत होना आदि मामलों में लागू होता है । देखो प्रकरण ५
८ -- चाइल्ड मेरेज रिस्ट्रेंट ऐक्ट सन् १९२८ यह क़ानून बालविवाह निषेध करता है और कन्या तथा वरकी उमर निश्चित करता है । इस समय यह बिल रूपमें है । सेलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट आगयी है ऐक्ट इस ग्रन्थके परिशिष्ट में देखे और बिल विवाह प्रकरणमें देखा ।