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उत्तराधिकार
[नवां प्रकरण
भी पिताके धनमें भाग नहीं पाते तो क्षेत्रज कैसे पावेगाः अर्थात् उसे नहीं मिलेगा। असाध्य रोगी, जड़, उन्मत्त, अन्धा और पंगुवाको धनमें भाग नहीं मिलेगा। सिर्फ उन्हें पालन करना पड़ेगा । मगर इनके पुत्रोंको हक मिलेगा यदि वे योग्य हों।
[२, कई शारीरिक अयोग्यताओं के कारण हिन्दू वरासत या कोपासनरीसे वंचित हो जाता है । वे शारीरिक अयोग्यताये यह हैं
१-नामर्दी-देखो भट्टाचार्यका लॉ आफ ज्वाइन्ट फैमिली P. 405408. हद्द दर्जेकी मूर्खता-1 Mad. H. C. 214. ट्वेिलियन हिन्दूलॉ P.35 4.
२--जन्मान्ध-मुरारजी गोकुलदास, बनाम पार्वतीबाई 1 Bom. 1773 2 Bom. H. C. 5. उमाबाई बनाम भाऊपदमनजी 1 Bom. 557; 14 B.L. R. 273; 23 W. R. C. R. 78; 2 B. L. R. F. B. 103; 11 W. R. A. 0.J. 11; 20 Bom. L. R. 38.
३-बहरा या गूंगा-मदनगोपाललाल बनाम खिकिन्डा कुंवर 18 I. A. 9; 18 Cal 341; 11 I. A. 20; 6 Ali. 322; 4 Bom. H. C. A. C. 135; 1 B. L. R. A. C. 117; 11 W. R. A. N. J. 19; Ben. S. D. A. 1860 P. 661.
४-अङ्गहीनता और बुद्धिहीनता- मिताक्षरा और दायभागका यही मत है-लंगड़ापन अर्थात् चल सकनेके योग्य न होना-भट्टाचार्य हिन्दुला 2 ed. P. 350; 26 Mad. 133; स्फटिकचन्द्र चटरजी बनाम जगतमोहिनी 22 W. R. C. R,348.
५-पागलपन-रामसुन्दरराय बनाम रामसहाय भगत 8 Cal. 919.
६-पागलपन चाहे वह जन्मका न हो-रामसहाय भुक्कट बनाम लालजीसहाय 8 Cal. 149; 9 C. L. R. 457; 9 N. L. R. 198; 18 W. R.C. R. 305:10 Cal. 639; 5 All. 509, 13M. I. A. 519; 6 B.L. R. 509; 15 W. R. P. C. 1; 7 W. R. C. R. 5; 1 Bom. 177.
७-पागलपन यदि असाध्य हो-द्वारिकानाथ बैसाक बनाम महेन्द्रनाथ बैसाक 9 B L. R. 198; 18 W. R. C. R. 305; 5 All. 509.
अगर किसीका हक़ उसके जन्मसे ही जायदादमें पैदा होगया हो तो वह हक़ मारा नहीं जाता, बशर्ते कि उसके बाद वह पागल हुआ हो, देखोत्रिवेनीसहाय बनाम मोहम्मद उमर 28 All.247. वृजभूषणलाल बनाम विञ्चन देवी 9 B. L. R. 204 का नोट 14 W. R. C. R. 329; 14 M. 289. अगर वारिस होनेके बाद पागल होगया हो तो भी उसका हक नहीं मारा जाता-9 B. L. R. 1983; 18 W. R.C. R. 30535All. 509.