________________
दफा ६१२-६१५]
सपिण्डोंमें वरासत मिलने का क्रम
अनुसार अब लड़केकी लड़की, लड़कीकी लड़की, बहन और उसके पीछे बहन के.लड़केको वरासतमें क्रमसे जायदाद मिलेगी। और अगर बहनके लड़कान हो तो उस लड़केको भी वरासत मिलेगी जो बहनके जीते जी गोद लिया गया हो। यानी बहनके मरनेपर गोद न लिया गया हो। .
क्रमसे जायदाद मिलनेका मतलब यह है कि जो वारिस पहले बताया गया है उसके न होनेपर दुसरेको व दूसरेके न होनेपर तीसरेको एवं तीसरे के न होने पर चौथेको मिलेगी। इन सब वारिसों को कोई ज्यादा हक नहीं होंगे उन्हें वही हक रहेंगे जो स्कूलोंके अन्तर्गत उनके माने गये हैं। दफा ६१४ बापका भाई (पितृव्य-चाचा-काका-ताऊ ) ..
(१) लड़के, पोते, परपोते, विधवा, लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाई, भाईके लड़के, भाईके पोते, दादी, और दादाके ( एवं नये कानून एक्ट नं०२ सन् १९२६ ई० के अनुसार लड़केकी लड़की, लड़कीकी लड़की, बहन
और बहनके लड़केके ) न होनेपर उत्तराधिकारमें चाचाको जायदाद मिलेगी। मिताक्षरामें कहा गया है कि- 'तत्रच पितृसंतानाभावे पितामही पितामह पितृव्यास्तत्पुत्राश्च क्रमेणधनभाजः'
पिताकी संतानके अभावमें दादी,दादा और चाचा तथा उनके लड़के क्रमसे जायदाद पाते हैं इस जगहपर 'पितृव्य' से मतलब 'चाचा' है। संस्कृतमें वाप भाई के लिये यह खास शब्द नियत है मगर दूसरे रिश्तेदारों के सम्बन्धमें ऐसा नहीं है ( देखो दफा ५५८)
(२) चाचा जायदादको पूरे अधिकारसे लेता है (देखो दफा ५६४) तथा सरवाइवरशिपका हक लागू नहीं होता ( देखो दफा ५५८, ५७०, ५७२) जायदाद बराबर हिस्सों में मिलेगी और बम्बई हाईकोर्ट को छोड़कर यह माना गया है कि सौतेले से पहिले सहोदरका हक होता है (देखो दफा ६११-५) चाचा चाहे सहोदर हो या सौतेला हो हमेशा बापके सहोदर भाईके लड़केसे पहिले जायदाद पाता है। दफा ६१५ बापके भाईके लड़केकी वरासत (चाचाका लड़का)
(१) ऊपरके वारिसों के न होनेपर उत्तराधिकारमें चाचाके लड़केको जायदाद मिलेगी। मिताक्षरामें कहा है कि
'पितृव्यास्तत्पुत्राश्च क्रमेणधनभाजः'
चाचा और चाचाके लड़के क्रमसे धन पाते हैं । इसलिये चाचाओंके न होनेपर चाचा का लड़का या लड़के जायदाद पाते हैं । पहिले सहोदर को
पितान