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[ नवां प्रकरण
दफा ६०० गुजरात, बम्बईद्वीप और उत्तरीय कोकनमें वरासत मिलने का क्रम
गुजरात, बम्बई द्वीप और उत्तरीय कोकनमें वरासत मिलनेका क्रम
- नीचे लिखे अनुसार है । अर्थात् पहिले कहे हुए वारिसके न होनेपर दूसरेको उत्तराधिकार मिलता है ।
द
वरासत के
क्रमका नं.
१ -- ३ | लड़का, पोता, परपोता
४
५
६०
११
१२
१३
१४
१५
१६
१७
१८
१६
२०
२१
२२
२३
उत्तराधिकार
२४
२५
२६
२७
२८
२६
३०
विधवा (मृत पुरुषकी स्त्री ) लड़क
वारिस
( १ ) बिन ब्याही लड़की (कारी ) ( २ ) व्याही लड़की जो गरीब हो ( ३ ) व्याही लड़की जो धनवान हो लड़की का लड़का (नेवासा - दौहित्र ) बाप
माना
सहोदर भाई ( सगा )
सहोदर भाईका लड़का ( सगे भाईका )
सहोदर भाईके लड़केका लड़का - देखो, नीचे नोट
बापकी माता ( दादी )
बहन
लड़के की विधवा
लड़के के लड़के की विधवा ( पोतेकी विधवा ) परपोतेकी विधवा सौतेली मा
सहोदर भाई की विधवा
महोदर भाईके लड़के की विधवा पितामह ( दादा ) और सौतेला भाई बापकी माता ( दादी ) सौतेले भाईका लड़का
बापके भाई का लड़का बाप की सौतेली मा सौतेले भाईकी विधवा
ज़रूरी - ऐक्ट नं० २ सन १९२९ ई० के अनुसार नं० २० में पितामह के बाद वे वारि आना चाहिये जो इम ऐक्ट में बताये गये हैं। मगर नं० १३ में बहनका स्थान पहले ही से मौजूद है. इस लिये सम्भव है कि नं० २० दादा के बाद लड़केकी लड़की - लड़की की लड़की और उसके बाद बहनका लड़का वारिस माना जाय किन्तु अभी निश्चित नहीं है । सन्देह इस लिये पैदा होता है कि ऐक्ट में लिखा है कि दादा के बाद और चाचा के पहिले । तथा यहांपर दादाक बाद बाकी माता (दादी) आती है तो ठीक स्थान दोनाके मध्यका न हुआ अभी तक इस बारमें इस ग्रन्थके यहां तक छपने के समय तक कोई भी नजीर नहीं हुयीं जो इस सन्दका संशोधन कर देती । कानून देखा इस प्रकरण के अन्त में ।
आपके भाई की विधवा (चाचाकी विधवा )
सौतेले भाई के लड़केकी विधवा
बापके भाई के लड़के की विधवा (चाचाके पुत्रकी विधवा पितामहकी मा
प्रपितामह
नोट- बम्बई प्रांत में इसकी जगह निश्चित नहीं है । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसकी यह जगह मानी है | मदरासके फैसलोंक अनुसार चाचा के बेटों के पीछे इसका हक़ माना गया है।
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