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दफा ५३७-५४०]
अलहदगी और बटवारा
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अगर कोई ऐसी जायदाद हो कि जिसमें कोपार्सनरोंके हन किसी गैर आदमीने खरीद कर लिये हों और वह गैर आदमी तथा कोपार्सनर मिलकर उसे शामिल शरीक रखते हों तो ऐसी जायदादके बटवारेका दावा अलग उसी अदालतमें करना चाहिये जिसके इलाकेमें वह जायदाद हो-पुरुषोत्तम बनाम आत्माराम जनार्दन 23 Bom. 597; 1 Bom. L. R. 76.
किसी कोपार्सनर की अलाहिदा जायदाद के लिये बाहरी आदमी को अलाहिदा दावा दायर करना पड़ेगा-लक्ष्मी नरायण बनाम जानकी दास 23 All. 216. दफा ५३९ मुनाफे के हिसाबका दावा
मुश्तरका खान्दानका कोई आदमी जब खान्दानकी जायदादको भोगने से बश्चित कर दिया गया हो तो उसको अपनी अलाहिदगीके समय तकका साधारण हिसाब लेनेका अधिकार है, देखो--कृष्णा बनाम सव्वाना 7 Mad. 564, 19 Bom. b32; 5 Bom 589; 7 I. A. 387 6 C. L. R. 153; और देखो--जाबता दीवानी 1908 Order 20 Rule 12.
अगर किसी कोपार्सनरको जायदादके कुछ हिस्सोंके भोगनेमें बाधा पड़ी हो तो वह उतने दिनों तकका हिसाव ले सकता है, देखो दफा ४२४(क).
मरम्मत आदि--अगर पहलेसे कोई स्पष्ट समझौता न हो गया हो तो कोपार्सनरी जायदादकी मरम्मत आदिमें किसी कोपार्सनर ने अपने पाससे जो कुछ खर्च किया हो वह खर्च उसे नहीं मिलसकता-1 Mad H.0. 309. दफा ५४० मुश्तरका खानदानका क़र्ज़ आदि
मुश्तरका जायदाद पर जो कुछ क़र्ज़ हो, और बटवारा करने वाले भाइयोंके बापका जो कुछ क़र्ज़ हो, और भरण पोषणका जो खर्च जायदादपर पड़ता हो, कुटुम्बियोंकी लड़कियों के विवाहका जो खर्च हो और वह अलग
लग हिस्सों मेंसे न दिया जा सकता हो; और धर्म क्रत्य सम्बन्धी जो खर्च खान्दानके ज़िम्मे हों, यह सब कर्ज़ और खर्च बटवारे के समय जायदाद मेंसे अलग किया जायगा अर्थात् अलग अलग हिस्सों में से दिये जानेका प्रबन्ध नहीं किया जायगा । और बटवारेमें सब प्रकारकी कोपार्सनरी जायदाद और वह जायदाद भी जो कोपार्सनरी जायदादकी मददसे खरीदी गयी हो या पैदा की गयी हो बटवारेमें शामिल की जायगी।
मुश्तरका जायदादका क़र्ज़ और बापका क़र्ज़ जायदादसे अलग किया जायगा, देखो--ताराचन्द बनाम रीवराम 3 Mad. H. C. 1773 लक्ष्मणदादा नायक बनाम रामचन्द्र दादा नायक 1 Bom. 561.