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[ आठवां प्रकरण
मिले, तय हुआ कि बटवारेके समय जायदाद जोड़ी गयी थी इसलिये मुद्दई वह अब नहीं पा सकता- 1923 All I R. 442 Mad.
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बटवारा
बटवारा में मुनाफ़ेका दावाहो सकता है--नीलकण्ठ बनाम गजानन 92 I. C. 364; A. I. R. 1926 Nag. 248.
दफा ५३७ बटवारेकी जायदाद
जब बटवारेका दावा दायर किया जाय तो उससे बटवारा होने योग्य सम्पूर्ण जायदाद शामिल कर देना आवश्यक होगा, देखो -- जाबता दीवानी 1908 Sched. 1 Order II Rule. 1; 11 Cal. 396; 23 Bom. 144; 11 Bom. H. C. 69; 7 Bom. H. C. A. C. 46; 12 Cal. 566; 6 B. L. R. 134; 9 C. L. R. 170; 5 Mad. H. C. 419; 24 Bom. 128; 12 Bom. H. C. 148.
एक तरहकी ऐसी नज़ीरें हैं कि जिनमें कुल कोपार्सनरी जायदाद दावा में शामिल न करनेके कारण मुक़द्दमा डिसमिस कर दिया गया, देखो - 14 Cal. 122; 8 C. L. R. 367; 12 Cal. 566; लेकिन उचित यह है कि जब ऐसी आपत्ति की जाय कि सब जायदाद दावामें नहीं शामिल की गयी तो. अदालत मुद्दईको अर्जेौदावा बदलने और उसमें कुल जायदाद शामिल करने की आशादे 14 Cal. 835; बटवारेका दावा दायर होनेपर पहले अदालत यह देखेगी कि मुद्दई ऐसा दावा कर सकता है या नहीं और जायदाद पानेका हक़दार है या नहीं, देखो - 38 Cal. 681.
मुद्दाले इस बात पर जोर देसकता है कि बटवारे के अर्जीदावामें मुद्दई मे जो जायदाद मुश्तरका शामिल नहीं की वह भी शामिल की जाय - 24 Bom. 128; 1 Bom. L. R. 620.
दफा ५३८ भिन्न भिन्न इलाक़ोंकी जायदाद
बटवारेकी जायदाद किसी एकही अदालतकी हद बन्दीके अत्यारमें न हो तो भी वह सब जायदाद एकही मुक़द्दमे में शामिल की जायगी लेकिन अगर कोई ऐसी जायदाद हो जो ब्रिटिश इंडियामें न हो तो वह उस दावामें नहीं शामिल की जायगी -- हरीनरायन ब्रह्म बनाम गणपतराव दाजी 7 Bom. 272; 25 W. R. 353; 15 W. R. C. R. 111; 22Bom. 922; 18 Bom. 389; 23 Bom. 597.
जब कोपार्सनरी जायदाद भिन्न भिन्न अदालतोंके इलाक़ेके अन्दर हो तो बटवारेका दावा उनमें से किसी अदालत में किया जा सकता है --3 Mad H. C. 376; पंचानन मल्लिक बनाम शिवचन्द्र मल्लिक 14 Cal. 835; 22 Bom. 922; 4 Bom. 482, 6 B. L. R. 134.