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________________ ६३० बटवारा [आठवां प्रकरण Nornn Annnnnor जब बेटियोंके पुत्र या गोत्रज सपिण्ड ( परन्तु उनकी सन्तान नहीं) यारिस होते हैं तो बटवारेके समय परकेपिटा (Per Capita दफा ५५८) हिस्सा पाते हैं 17 Bom. 303. हर एक बालिरा कोपासनर इस बातकी व्यवस्था कर सकता है कि उसके मरनेके बाद उसका हिस्सा उसकी सन्तानमें कैसे बांटा जाय और किस किसको मिले । मगर शर्त यह है कि उसके ऐसा करनेसे किसीकी वरासतमें फरक न पड़े और किसी ऐसे आदमीको हिस्सा न दिया जाय जो उस समय पैदा न हुआ हो । यह बात पहले थी मगर अब नये कानूनके असर ऐसा हो. सकता है। देखो वसीयतका प्रकरण । (४) बटवारेकी जायदाद दफा ५२६ किस चीज़का बटवारा हो सकता है और किसका नहीं (१) सिर्फ मनकूला और गैर मनकूला कोपार्सनरी जायदादका ही बटवारा हो सकता है कोपार्सनर इस बातपर जोर दे सकते हैं कि खानदान की सब जायदाद जो बांटी जा सकती हो बांटी जाय । (२) पट्टेकी जायदाद--पट्टेपर मिली हुई जायदाद चाहे वह साधा. रण हो या सरकारसे पट्टेपर मिली हो बांटी जा सकती है--दत्तात्रेय विठ्ठल बनाम महादाजी 16 Bom. 528. (३) असामियोंके कब्जेकी ज़मीन--नाप जोखकर या लगान बांटकर उस भूमिका भी बटवारा हो सकता है जो असामियोंके कब्ज़ेमें हो, देखोउष्पाला राघव चारलू बनाम उष्पाला रामानुज चारलू 26 Mad. 78; 11 C. W. N. 397. (४) खानदानके रहनेका मकान-कोपार्सनर या उसके हिस्सेका खरीदार इस बातपर ज़ोर दे सकता है कि खानदानके रहनेका मकान भी बांटा जाय लेकिन खरीदार जो कोपार्सनर न हो तो उसे अपना हिस्सा दूसरे कोपार्सनरके हाथ बेंच देना होगा, देखो--Act No. 4 of 1893 S. 4., मकानके साथ यदि कोई अहाता लगा हो तो चाहे उसमें ग्राम सड़क भीगयी हो तो भी वह अहाता बांटा जा सकता है, देखो--रामप्रसाद नरायन तिवारी पनाम कोर्ट आफ वार्ड्स 21 W. R.C. R. 15.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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