________________
दफा ५२३-५२५]
हिस्सोंके निश्चित करनेका क़ायदा
६२४
बैजनाथ बनाम रामूदीन (1873) 1 I. A. 106 हेमचन्द्र बनाम थाकोमनी (1893) 20 Cal. 533; साहेबजादा बनाम हिल्स (1907) 35 Cal. 388. अमोलक बनाम चन्दन (1902) 24 All. 483. लक्ष्मण बनाम गोपाल 23 Bom. 385.
इसी तरहसे जब किसी कोपार्सनरने जायदादका कोई खास हिस्सा बेंच दिया हो या रेहन कर दिया हो तो उचित यही है कि बटवारेके समय जहां तक सम्भव हो सके जायदादका वह खास हिस्सा खरीदार या उस आदमी को कि जिसके पास वह हिस्सा रेहन रखा गया था दिया जाय, ऐसा करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक होगा कि रेहन रखने वाले या बेचनेवाले कोपार्सनरने जितना रुपया पाया था उसीके अनुसार और उस कोपार्सनरके हिस्सेकी मालियतके अन्दर जायदाद दी जायगी, देखो-ऊदाराम बनाम रानू (1875) 11 Bom. H. C. 76. पाण्डुरंग बनाम भास्कर (1874) 11 Bom. H. C. 72. ऐय्यागारी बनाम ऐय्यागारी (1902) 25 Mad 690-718.
____ बटवारा-कोई हिस्सेदार उन खौको जो मुश्तरका खान्दान द्वारा होने चाहिये, अपनी निजी जायदाद से करता रहा बटवारेके पहिलेही उसका मावज़ा दूसरे हिस्सेदारों द्वारा अनुपातसे किया जाना चाहिये-भोलीबाई बनाम द्वारिकादास 84 I. C. 168; A. I. R. 1926 Lah. 32. दफा ५२४ कुछ कोपार्सनर बटवारा करें और कुछ शरीक रहें
यदि जायदादके कुछ भागका बटवारा किया जाय और कुछ भागका न किया जाय; या कुछ कोपार्टनर कुल जायदादका बटवारा करलें और कुछ शामिल शरीक बने रहें, इन दोनों सूरतोंमें पीछे उस बाकी जायदादका बटवारा करते समय या बाकी रहे हुये मुश्तरका कोपार्सनरोंके परस्पर बटवारा होने के समय उसी हिसाबसे बटवारा होगा जैसा कि पूरी जायदादका एक साथही किया जाता हो। यह अवश्य है कि पीछेसे होने वाले इस बटवारेके समय तक जो कोपार्सनर मर गये हों या जो नये पैदा हुये हों उनका ख्याल रखते हुये बटवारा किया जायगा 5 Mad. 362.
कठियावाड़ चिमड़ीके 'झालागिरासियों' के विषयमें देखो-पृथ्वीसिंह जी बनाम उम्मेदसिंहजी (1904) 6 Bom. L. R. 98.
'ढंदूका' ताल्लूकाके 'खरद' के चुदासामागिरासियोंके विषयमें देखोमालूभाई बनाम सूरसंगजी ( 1905 ) 7 Bom. L. R. 8212 दफा ५२५ भिन्न भिन्न माताओंके पुत्र
यदि कोई खानदानी रसम विरुद्ध न हो तो भिन्न भिन्न माताओंके पुत्र बराबर हिस्सा पाते हैं, देखो-सुब्रह्मण्य पण्डा चोका टालावार बनाम शिवसुब्रह्मण्य पिल्ले 17 Mad, 316-327.