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बटवारा
[आठवां प्रकरण
सुशीला
बटेगा और इसी तरहपर कमलाके तीन पुत्रोंको जितना हिस्सा मिलेगा उसके सहित चार बराबर भागोंमें बांटा जायगा इस तरहपर बटवारा होगा, क्योंकि नियम यह है कि माता अपने एक पुत्रके हिस्से बराबर पायेगी अर्थात् रमेश
और सुरेशको हिस्सा उनकी माता सहित मिला । इसमें हरएक हिस्से का हिस्सा लेंगे यानी हरएक हिस्सा यायेगा। इसी प्रकार तीन भाइयोंको हिस्सा उनकी विधवा माता कमलाके सहित मिला। इसमेंसे हरएक ३ हिस्से में से हिस्सा पावेंगे यानी हरएक को हिस्सा मिलेगा। इस तरहसे सुशीला में और कमला हिस्सा पावेगी। (३) महेश दो विधवाएं और दो पुत्र छोड़कर मरा कमलाके कोई महेश
पुत्र नहीं है । रमेशने सुरेशपर बटवारे की नालिश की उसमें सुशीला और
सौतेलीमा कमलाको प्रतिवादी बनाया। कमला
ऐसी सूरतमें जायदाद चार बराबर
हिस्सों में बटेगी हरएक विधवा और रमेश सुरेश
पुत्र ! हिस्सा पावेंगे। यहांपर कमलाके
कोई पुत्र नहीं है इसलिये ऐसा हुआ। नोट-माता स्वयं बटवारा नहीं करा सकती देखो-गणेशदत्त बनाम जेवाच 31 Cal. 2627 31 I. A. 10-15 के मुकद्दमेमें माना गया है कि यदि बटवारेमें माताका हिस्मा रक्षित न रखा गया हो तो इस वनहसे बटवाग नाजायज नहीं हो जायगा । माके हिस्सेका कायदा सिर्फ उसी समय लागू होगा जब कि बटवार आम तौर से हो अर्थात अगर किसी अजनबी आदर्माकी दरख्वास्तपर बटवारा हो तो उस सूरत में ऐसा नहीं होगा यानी उस बटवारेमें सिर्फ अजनवी आदमीका उतना हिस्सा अलग कर दिया जायगा जितना कि उसने खरीदा हो या नीलाम में लिया हो, देखो 20Cal.682.
__ अगर जायदाद बेटोंने मौरूसी जायदादकी सहायता बिना स्वयं कमाई हो तो उसमें माका हिस्सा नहीं होता।
बङ्गालको छोड़कर अन्यत्र सब जगह पर यह नियम है कि पुत्रहीना विधवा माताको उसके सौतेले पुत्रोंके परस्पर बटवारा होनेके समय जायदाद का एक पुत्रके बराबर हिस्सा दिया जायगा देखो-8 Cal. 537; 10 C. L. R. 401. यह मिथिला केस है। यह स्पष्ट है कि जायदायका वह हिस्सा जो विधवा माताको दिया जायगा वह उसके भरण पोषणके लिये काफ़ी होना चाहिये । यह ध्यान रहे कि जब बटवारा समाप्त हो जायगा तभीसे अपने अपने हिस्से की मिलकियत पैदा होगी न कि उसके पहलेसेशिवदयाल तिवारी बनाम जदुनाथ तिवारी 9 W. R. 61; 12 Cal. 96. माताके पास स्त्रीधन होनेसे पत्नीके विषयमें कहा हुआ नियम लागू होगा, देखो दफा ५१३.