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पैतृक ऋण अर्थात् मौरूसी क़र्ज़ा
[ सातवां प्रकरण
कोई हिस्सा निश्चित नहीं कर सकता लेकिन बम्बई और मदरास प्रांतमें ऐसा हो सकता है इसलिये बापका हक़ उस रेहनके क़र्जेका पाबन्द माना जाता है। यद्यपि यह क़र्जा पुत्र और पौत्रके सम्बन्धमें ( Unsecured. ) अर्थात् ज़मानत रहित है तो भी पुत्र और पौत्र देनेके पाबन्द होंगे और इसकी डिकरी कोपार्सनरी जायदादसे वसूलकी जायगी। जो जायदाद रेहन हो उससे भी वसूल की जासकेगी, देखो -- दत्तात्रेय बनाम विष्णु ( 1911 ) 36 Bom. 68; 13 Bom. L. R. 1161; चिन्तामणिराव बनाम काशिनाथ 1889 Bom. 320 किन्तु शर्त यह है कि ( Unsecured ) अर्थात् ज़मानत रहित क़र्जेके सम्बन्धमें जो तमादीका नियम है, लागू होगा, देखो --सूरज प्रसाद बनाम गुलाबचन्द ( 1900 ) 27 Cal. 762, इस नजीरसे इन नजीरोंमें फरक़ है, 34 Cal. 184; 11 C. W. N. 294; 12 C. W. N. 9; 29 All. 544.
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इससे मतलब यह निकला कि पहलेके क़र्जेके लिये रेहन, और उसी वक्त क़र्जेके बदले में रेहन, इन दोनों रेहनोंके वसूलीके दावामें कोई फरक नहीं है लेकिन इनमें तमादीकी शर्तोंका ध्यान रखना ज़रूर होगा और उस जायदाद का प्रश्न भी इससे अलग है जिसकी कार्रवाई दावा से पूर्व करदी गई हो । चिदम्बरा मुदालिमा बनाम कुथापेरूमल ( 1903 ) 27 Mad. 326, 328 में कहा गया है कि पहले के क़र्जके रेहन और उसी वक्त लिये हुए क़र्ज के बदले में रेहन इन दोनों में कोई विशेष भेद मानना बहुत कठिन है क्योकि दोनों ही सूरतों में पुत्र और पौत्र उन क़जके देनदार हैं सिर्फ यह अन्तर है कि बाप ने कोई जायदाद रेहन करके क़र्जा लिया हो तो व जायदाद ही उस क़र्जे की पाबन्द होगी पुत्र और पौत्र नहीं होंगे, देखो -- गङ्गाप्रसाद बनाम शिवदयाल सिंह 9 C. L. R. 417; 31 All. 176.
अगर बापने कोई जायदाद बेची हो लेकिन वह बिक्री किसी पुराने क़र्जेके बारेमें न हो, और किसी बे क़ानूनी या दुराचारके गरज़से न हो, तो पुत्र उस बिक्रीका रुपया अदा किये बिना उस बिक्रीको मंसूख नहीं करा सकते ऐसी बिक्रीका रुपया एक प्रकारका क़र्ज है इसलिये वह पुत्रोंको देना ही पड़ता है, देखो -- हसमतराय बनाम सुन्दरदास 11 Cal. 396; 4 B. L. R. A. C. 15; 12 W. R. C. R. 447.
कई पुराने मुक़द्दमों में यह माना गया था कि अगर रेहनके पहलेका क़र्ज़ा खान्दानी ज़रूरत के लिये न लिया गया हो तो महाजनको कोई हक़ नहीं है कि वह उसे कोपार्सनरी जायदादसे वसूल कर सके; देखो - हनूमानकामत नाम दौलत मन्दिर 10 Cal. 528. लालसिंह बनाम देवनरारायणसिंह 8 All. 279. अरुणाचलचट्टी बनाम मुनिसामी मुदाली 7 Mad. 39.
जबकि बापने कुल मुश्तरका जायदाद या सिर्फ अपना हिस्सा रेहन या बय या कोई इन्तक़ाल किया हो तो इस बारेमें जो कोई प्रश्न उठेगा उसका