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दफा ४५१-४५३ ]
मुनाफेका इन्तकाले
जिसको वह हिस्सा दिया गया है सिर्फ वही उससे लाभ नहीं उठायेगा बक्लि सब कोपार्सनर लाभ उठायेंगे, देखो -चन्द्र बनाम दम्पति 16 Ali. 369..
(१) एक बापके जय और विजय दो पुत्र हैं। जयका पुत्र वसु, और विजयका पुत्र अत्रि है । जयने मुश्तरका जायदादमें अपना हिस्सा अपने बाप के हकमें छोड़ दिया यानी दे दिया तो जयके पुत्र वसु सहित सब कोपार्सनर उससे लाभ उठावेंगे यह राय बम्बई हाईकोर्टकी है ( 6 Bom. L. R. 925, 947; 9 Bom. L. R. 595; 33 Bom. 267; 1 Mad. 312; 5 A. 61 ).
(२) अ, क, ख, ग चार भाई मुश्तरका खान्दान में हैं , क मुश्तरका खान्दानकी जायदादमें अपना हिस्सा अकेले ख, के हकमें दे दिया पीछे ख, बटवाराका दावा ग, के ऊपर करता है ऐले मामलेमें मदरास हाईकोर्टका मत है कि ख, तीन चौथाई हिस्सा पानेका हक़दार होगा । तथा ग, एक चौथाई पावेगा । परन्तु इलाहाबाद हाईकोर्टने ऐसा माना है कि भलेही अ, और क ने अपने हिस्से ख को दे दिये हों किन्तु ख और ग उस जायदादका बराबर लाभ उठायेंगे यानी आधी जायदाद ख को तथा प्राधी जायदाद ग को मिलेगी।
मदरास हाईकोर्ट की उक्तरायका आधार महर्षि मनुका वचन मालूम होता है क्योंकि मनुस्मृतिमें कहा गया कि -
भातृणां यस्तु ने हेत धनं शक्तः स्वकर्मणा सनिर्भाज्यःस्वकादेशात्किञ्चिद्दत्त्वोपजीवनम् ।मनु-२०७
मतलब यह है कि अगर किसी भाई की अलग कमाई अपने पेशेसे हो और वह जायदादमें अपना हिस्सा न चाहता हो तो जायदादका उसका हिस्सा ले लिया जायगा और उसे उसके बदले है कुछ दे दिया जायगा जिससे उसके पुत्र कालांतर में कोई विवाद न कर सके । इसी आशयपर मदरासके हाईकोर्ट की राय हुई है कि यदि सब कोपार्सनरोंके हकमें अपना हिस्सा छोड़ा जा सकता है तो कोई वजह नहीं है कि वह अकेले किसी ऐसे कोपार्सनरके हक़ में न छोड़ सके जिसको कि सचमुच वैसी मदद की ज़रूरत है। दफा ४५३ दिवालिया कोपार्सनर
जिस मुश्तरका खान्दानमें मिताक्षराला माना जाता है यदि उसका कोई कोपार्सनर अदालतसे दिवालिया ठहराया जाय तो मुश्तरका खान्दानका उसका हिस्सा आफिशल एसाइनीके कब्जे में चला जायगा; देखो-नुन बनाम चिड़ाराभोइना 26 Mad. 214, 223 अगर दिवाले की कार्रवाई के दरमियान