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दफा ४३०]
अलहदा जायदाद
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(३) मर्द कोपार्सनरों के विवाहके खर्च और उनके लड़कोंके भी; देखो
सुन्दराबाई बनाम शिवनरायन 32 Bom. 81; भागीरथी बनाम जोखू 32 All.575; गोपाल कृष्णनम् बनाम वेंकटरासा
(1914) 37 Mad. 273; 27 Mad. 206;34 Mad.422. (४) कोपार्सनरोंकी लड़कियों के विवाहके खर्च, देखो-11 Bom.
605; 23 Mad. 512, 26 Mad. 497; 35 Mad. 728; 36 .
All 158. बहिनकी शादीके लिये-किसी नाबालिराके वली द्वारा उसकी बहिन की शादीके खर्चके लिये किये हुये इन्तकालकी पाबन्दी खान्दानपर होती है और नाबालिग भी बालिग होनेपर, उसका विरोध नहीं कर सकता, देदारसिंह बनाम वंसी 85 I. C. 741; A. I. R. 1925 Lah 520. (५) अतेष्टी क्रियाके खर्च और खानदानके अन्य मज़हबी खर्च; देखो
नाथूराम बनाम सोमाछगन 14 Bom. 662. लालागनपति
बनाम टूरन 16 W. R. 52. (६) जायदादको फिर प्राप्त करने या उसके बचानेके लिये ज़रूरी
मुक़दमोंका खर्च देखो-मिलर बनाम रंगनाय 12 Cul. 389. (७) मुश्तरका खानदानके मुखियाको किसी संगीन फौजदारी मुक
हमेंसे बचानेका खर्च देखो-बेनीराम बनाम रामसिंह 1912
34 All. 4-8. रिवाज-(पञ्जाव )--पूर्वजोंके क़र्जका अदा करना जायज़ आवश्यकता है। चेतसिंह बनाम तारलोचन 1927 A. I. R. Lahor 53
आवश्यकता--हिन्दूलॉ के कर्ता इस बातको स्वतन्त्रता पूर्वक स्वीकार करते हैं, कि हिन्दू स्त्रीको आवश्यकताकी दशामें खान्दानकी ओरसे कर्ज लेनेका अधिकार है । देखो नारद विष्णु मनु और याज्ञवल्क्य जैमिन (Mayne) पृ० ४५२ में उद्धृत है।
उस अवस्थामें जबकि पुरुष कर्ज लेता है और उसमें जबकि स्त्री कर्ज लेती है जो अन्तर है वह खास तौरपर उस सबूतके देने में है जो दोनों अवस्थाओंमें इस प्रमाणमें देना होता है कि क़र्ज़ लेने वालेको कर्ज लेनेका अधि. कार है और शायद उन चन्द कल्पनाओं में है जो कि चन्द सूरतोंमें की जा सकती हैं । वीरप्पा बनाम नूरखां सेठ 3 Mys L... 64.
अनिश्चित लाभके लिये इन्तनाल--किसी हिन्दू खान्दानका मेम्बर किसी भाग्याधीन (Speculator ) व्यवसायके लिये इन्तकाल नहीं कर सकता। उस व्यक्तिको; जिसके हकमें इन्तकाल किया गया है, हर हालतमें कानूनी ज़रूरत या खान्दानी फायदा साबित करना चाहिये । फ़ायदेके प्रश्नके फैसले
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