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[ छठवां प्रकरण
होगा यानी पिछला हिसाब भी देनेका पाबन्द होगा; 22 Mad. 470; 26 I. A. 167.
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मुश्तरका खान्दान
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• बङ्गाल स्कूल – उन स्थानों में जहां पर बङ्गाल स्कूल माना जाता है वहां पर बिना बटवारा कराये भी कोपार्सनर मेनेजरसे हिसाब मांग सकता है इस बातकें देखनेके लिये कि उसने अभी तक क्या किया है मगर जहांपर मिताक्षरा माना जाता है वहांपर नहीं, 5 Beng. L. R. 347.
दफा ४२७ मेनेजरका अधिकार मुश्तरका ख़ान्दानके लिए रज़ा लेने का
( १ ) मुश्तरका खान्दानके कारोबारके मेनेजरको खुद बखुद यह अधिकार प्राप्त है कि वह खान्दानके कारोबारके साधारण कामोंके लिये क्ररजा ले सकता है, 5 Cal. 792.
जब ऐसे क़र लिये गये हों तो सब कोपार्सनर चाहे वह बालिग़ हों ( 22 Mad. 166; 5 Bom. 38 ). चाहे नाबालिग़ हों ( 29 All. 176; 26 Mad. 214; 3 Cal, 738 ). अपने हिस्सेकी हद्द तक उन क़रजोंके देनदार हैं। लेकिन अगर वह कोपार्सनर उन क़रजोंके लेनेमें खुद भी शरीक रहे हों, अथवा उनके बर्ताव से यह समझा जा सकता हो कि वह शरीक रहे होंगे, या थे, या उन्होंने उन रजोंको उस वक्त या पीछे मंजूर कर लिया हो, तो वह कोपा
नर जाती तौर से भी जिम्मेदार हैं और उनकी दूसरी जायदाद भी जिम्मेदार है । अगर नाबालिग़ कोपार्सनरोंने बालिग़ होनेपर उन क़रजोंको स्वीकार कर लिया हो तो वह भी जाती तौरपर उन क़रजोंके अदा करने के जिम्मेदार है ।
(२) चाहे किसी हिन्दू मुश्तरका खान्दानका कारोबार कुछ भी न हो तो भी मेनेजर खान्दानके साधारण कामोंके लिये क़रज़ा ले सकता है और उसके लिये सबकोपार्सनर वैसा ही जिम्मेदार हैं जैसा कि ऊपर नं० १ में बताया गया है। देखो - गरीबउल्ला बनाम खलकसिंह 25 All 407,414, 415; 30 I. A. 165; द्वारिकानाथ बनाम वेशी 9 Cal. W. N. 879; 22 Mad. 166.
(३) जब मेनेजर खान्दानकी ज़रूरतें बताकर किसीसे क़रजा ले और क़रज़ा देनेवाला मुश्तरका खान्दानकी जायदादमें उस खान्दानके सब मेम्बरों के हिस्सेको अपने क़रजेका देनदार तथा जिम्मेदार बनाये तो जब तक कि वह • अर्थात् रज़ा देने वाला यह साबित न कर दे कि उस क़रज़ेकी वास्तविक में ज़रूरत थी, या यह कि उसने उचित जांच करके वैसी ज़रूरत मालूम कर ली थी, या यह कि उससे ऐसा कहा गया था कि जिससे वैसी ज़रूरत