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मुश्तरका खान्दान
[ छटवां प्रकरणा
Bom H. C. 2 मुश्तरका खान्दानके कारवारकी हिस्सेदारी और मामूली हिस्सेदारी (Partnership) जो अकसर कम्पनियों और दुकानोंमें हुआ करती हैं इन दोनों में क्या फरक है यह फरक नीचे बताते हैं देखो
કર્યુ
१ मुश्तरका खानदानकी हिस्सेदारी किसी एक कोपार्सनर के मर जाने से टूट नहीं जाती और साधारण हिस्सेदारी टूट जाती है । देखो - सांवलवाई बनाम सोमेश्वर 5 Bom. 38; 14 Bom. 194.
२- जब कोई आदमी मुश्तरका खान्दानमें रहता हो और उस खान्दान का कोई मुश्तरका कारवार चलता हो ऐसी हालत में अगर वह अलहदा हो जाय और मुश्तरका खान्दानसे सम्बन्ध तोड़ दे तो वह आदमी पिछले मुनाफा और नुकसानका हिसाब कुछ भी नहीं मांग सकता मगर साधारण हिस्सेदारी में जैसा कि कम्पनियों था साझेदारोंमें हुआ करती है बराबर पिछला हिसाब मांग सकता है।
३- मुश्तरका खान्दानके मेनेजर ( प्रबन्धक) को यह माना हुआ श्रधिकार प्राप्त है कि वह मुश्तरका खान्दानके कारबारके लाभके लिये क़र्ज़ ले सकता है, और उस खान्दानकी जायदादको रेहन कर सकता है ( 5 Cal. 792; 26 Bom. 206; 6 C. W. N. 429 ) और ऐसे क़ज़ अगर उस खानदान के कारबार के लिये, लिये गये हों तो उस क़र्ज़की देनदार मुश्तरका जायदाद है जिसमें नाबालिग़ कोपार्सनरोंका भी हिस्सा शामिल रहेगा। परन्तु ऐसा अधिकार सिर्फ मैनेजर को ही होगा दूसरे कोपार्सनरको नहीं होगा (23 Mad. 597) परन्तु साधारण हिस्सेदारीमें साझेके कारवारके लिये कोई भी हिस्सेदार या साझीदार क़र्ज़ा नहीं ले सकता है और उसके देनदार अन्य सब हिस्सेदार नहीं होते हैं, देखो - कन्ट्राक्ट ऐक्टकी दफा २५९ एक्ट नम्बर ६. सन १८७२ ई०.
४ - साधारण हिस्सेदारीमें साझेके कारवारका क़रज़ा चुकाने के लिये साझीदारका सिर्फ हिस्साही नहीं लिया जायगा वक्ति उसकी दूसरी अलहदा जायदाद भी ली जायगी ( अगर वह साझेदारी रजिस्टरी न हो ) लेकिन जो क़र्ज़ मुश्तरका खान्दानका मेनेजर उस खान्दानके कारोबार के वास्ते लेता है तो उसके अदा करनेके लिये मुश्तरका खान्दानकी कुल जायदाद और उस मेनेजरकी दूसरी अलहदा जायदाद भी जिम्मेदार है और अगर ऐसी सूरत हो कि ज़ाहिरा क़र्ज़ा लेने वाला चाहे मेनेजरही हो पर असल में दूसरे कोपानर भी शामिल हों या उनके व्यवहार या चलनसे यह समझा जा सके कि शामिल थे या जिस क्रर्जे को उन्होंने पीछे स्वीकार कर लिया हो तो उन सब को पार्सनरोंकी अलहदा जायदाद भी उस क़र्जेके श्रदा करने की जिम्मेदार समझी जायगी, देखो - चाला मैय्या बनाम बरादय्या 22 Mad. 166 समल भाई बनाम सोमेश्वर 5 Bom. 38. सकराभाई बनाम मगनलाल 26 Bom. 206; 29 Cal. 583; 9 Bom. L. R. 1289,