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दफा ४०४-४०५]
कोपार्सनर
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रणमर्दनसिंह बनाम साहेब प्रल्हादसिंह 7 Mad. I. A. 18; 4 W. R. P. C. 1323 12 Mad. I. A. 203; 2 Beng. L. R. (P. C.) 15.
(१०) बापके भाई के साथ अनौरस पुत्रका कोई हक कोपार्सनरी जायदादमें नहीं है। यानी अगर कोई शूद्र क़ौमका आदमी अपना भाई और औरस पुत्र तथा अनौरस पुत्रको छोड़कर मर जावे तो उस सूरतमें अनौरस पुत्रका कोई हक़ कोपासनरी जायदादमें नहीं होगा क्योंकि अनौरस पुत्रका कोई हक़ बापके स्थागपन्न होकर नहीं प्राप्त होता। देखो-रानोजी बनाम कांडोजी 8 Mad. 557; 10 Mad. 334; 27 Mad. 32. और दफा ७२२-२.
अनौरस पुत्रको शूद्रों में भी जायदादका न मिलना-किसी व्यक्तिका किसी अन्य पुरुषकी स्त्रीके साथ सहवास, व्यभिचार है, चाहे पतिने उस सम्बन्धकी रजामन्दी भी देदी हो । इस प्रकारके सहवाससे पैदा हुश्रा पुत्र हिन्दूलॉ के अनुसार दासी पुत्र नहीं है अतएव शूद्रोंके मध्य उसे वरासतका अधिकार नहीं है। बीठाबाई बनाम पांडू 28 Bom. L. R. 5957 A. I. R.. 1926 Bom. 301. दफा ४०४ मिताक्षरालॉ में औरत कोपार्सनर नहीं होती
मिताक्षराला के अनुसार औरत कोपार्सनर कभी नहीं होसकती सिर्फ मर्द होता है। देखो-पुनाबीबी बनाम राधा किशुनदास (1903 ) 31 Cal. 476. लेकिन यह कायदा कानून मियादके खिलाफ नहीं माना जायगा यानी अगर किसी सबबसे औरतके कब्जेमें कोई कोपार्सनरी जायदाद चली गई हो और उस जायदादपर उस औरतका कब्ज़ा इतने दिनोंतक बना रहाहो कि क़ानून मियादके अनुसार वह अब बेदखल नहीं की जासकती हो तो ऐसी सूरतमें वह औरत अपनी जिंदगीभर तक कोपार्सनरी जायदादमें क़ब्ज़ारखेगी। देखो-श्याम कुंवर बनाम दाह कुंवर ( 1902) 29 I. A. 132; 29 Cal. 6647. 6 C. W. N. 657; 4 Bom. L. R. 547. दफा ४०५ कोपार्सनर होनेके अयोग्य पुरुष
जिन श्रादमियोंका हक़ उत्तराधिकारमें ( देखो प्रकरण १) उनकी अयोग्यताके सबबसे नहीं माना गया वह आदमी कोपार्सनर नहीं माने गये उनका हक़ सिर्फ रोटी कपड़े का होता है देखो-रामसहाय मुकट बनाम लाल जी सहाय लाला 8 Cal. 149; 9 C. L. R. 457; रामसुंदर राय बनाम रामसहाय भगत 8 Cal. 919. यही बात व्यवहार मयूख तथा दायभाग मेंभी मानी गई है।
इस विषयमें बङ्गाल हाईकोर्टमें यह माना गया है कि जब किसी पुरुष को शारीक अयोग्यता जन्मसे नही बल्कि बीचमें पैदा होगई हो तो भी उसे
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