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नाबालिग्री और वलायत
[पांचवां प्रकरण
-गा० दफा ७-औ १६ (ब)--पिता नाबालिग़की ज़ातपर वली नहीं मुकर्रर किया जासकता। --मु० ताज़ बेगम बनाम गुलाम रसूल. 6 L. L. J. 579; 83 I. C. 3087 26 Puj. L. 1. 123 A. I. R. 1925 Lah. 250. यह नियम यूरोपियन वृटिश प्रजाके लिये है
-गा० दफा ११-किसी नाबालिग़के वली मुकर्रर करनेकी अर्जीपर, अदालत प्रार्थीको अपने अभियोगोंके सबूतमें शहादतपेश करनेकी इजाज़त देगी--युसुफ़ अली मामूजी बनाम अली भाई 29 Punj. L. R. 255; A.I. R. 1923 Lah. 8.
-गा० दफा १२-किसी जजको, जिसके सन्मुख किसी नाबालिग़के चली नियत करनेकी अर्जी विचाराधीन होती है, यह अधिकार होता है कि वह कोई रिसीवर नियुक्त करदे, किन्तु इस प्रकारका अधिकार ज़ाबता दीवानीके अनुसार होता है नकि गार्जियन एण्ड वार्ड एक्टके अनुसार। अतएव इस प्रकारका हुक्म गार्जियन एण्ड वार्ड एक्टकी दफा १२ के अनुसार नहीं बल्कि जाबता दीवानीके आर्डर ४० रूल १ के अनुसार होता है अतएव आर्डर ४३ रूल १ क्लाज़ (स) के अनुसार काबिले अपील है । मु० चन्द्रवती "बमाम जगन्नाथ सिंह 7 L. L. J. 281; 90 I. C. 611; 26 Punj. L. R. 576; A. I. B. 1925 Lah. 489.
-गादफा १२-किसी नाबालिगके जिस्म और जायदादकी रक्षाके लिये हाईकोर्टको बहुत विस्तृत अधिकार प्राप्त हैं । अदालत नाबालिग़के हितकी रक्षाके लिये, तमाम ऐसे हुक्म, जो वह वाजिब समझे देसकती है। अदालत को यह भी अधिकार हासिल है कि वह नाबालिग़की शादी उसकी हालत नाबालिग्रीमें होनेसे रोकदे । मुरारीलाल बनाम सरस्वती 7 Lah. L. J. 30; 86. I. C. 226; 88. I. C. 576; A. I. R. 1925 Lah. 358.
-गादफा १३-तहकीकातकी किस्म-मुसलमान माताकी तलाकयदि वलायतकी नामजूरीका कोई कारण है-मु० जैनम बी बी बनाम अब्दुल करीम A. I. R. 1926 Lah. 117.
-गा० दफा १३-नाबालिग़के वली मुकर्रर करनेकी अर्जी, कितनीही खुलासा क्यों न हो बाद तहकीकात फैसलकी जानी चाहिये।
अपीलान्टने नाबालिग़के वली मुकर्रर किये जानेकी अर्जी दी। वजह यह बताई कि, नाबालिग़की मा जिसकी संरक्षामें वह रहती है बहुत फिजूल खर्च करती है। अदालतने बिला तहकीकात अर्जी ना मञ्जूर कर दी। तय हुआ कि अर्जीकी तहकीकात दफा १३ के अनुसार होना चाहिये थी-- सजनसिंह बनाम मु० गुजरी 26 Punj. L. R. 164.
-गा० दफा १३-दफा १३ की कार्यवाहीका यह अभिप्राय नहीं है कि जांच सरसरी हो--किसी नाबालिग़ मुसलमानकी मा इसलिये वली होनेसे