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मा०दफा १६-१६]
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___ उस सूरतमें जबकि और सब बातें एक सी हो परन्तु नाबालिग छोटा हो या नाबालिगा ( Female minor ) के वली बननेका प्रश्न हो तो माता को वली बनाना चाहिये और जबकि नाबालिगकी अवस्था विद्याध्ययनके योग्य होगई हो या उसके लिये व्यवसायमें लगने व काम सीखनेका समय हो तो पिताको वली बनाना चाहिये।
(५) अदालत किसी भी व्यक्तिको उसकी इच्छाके विरुद्ध न वली बनायेगी न घोषित ही करेगी। --दफा १८ कलक्टरका अपने पदके कारण वली नियुक्त या
घोषित किया जाना जबकि कोई कलक्टर अपने पद ही के कारण किसी नाबालिगकी ज़ात या जायदाद या दोनोंका वली नियुक्त अथवा घोषित किया जावे तो इस प्रकारकी नियुक्ति या घोषणासे उस व्यक्तिका नाबालिराकी ज़ात या जायदाद या दोनोंका वली होना समझा जावेगा जो कि उस समय कलक्टरीके पद पर होगा। -दफा १९ अदालतको कुछ मामलोंमें वली न नियुक्त
करना चाहिये इस प्रकरणके अनुसार नाबालिगकी जायदादका वली नियुक्त या घोषित करनेका अधिकार अदालतको उस दशामें न होगा जबकि नाबालिगकी जायदाद कोर्ट आफ़ वार्ड्सकी देख रेख में होगी अथवा अदालतको नीचे लिखी हुई दशामें नाबालिगकी ज़ातका वली नियुक्त या घोषित करनेका अधिकार न होगाः-- (ए) जबकि नाबालिगा एक विवाहिता स्त्री है और उसका पति
अदालत की रायमें उसकी जातका वली बनाये जानेके लिये
अयोग्य नहीं है, या (बी) जबकि नाबालिगका पिता जीवित है और वह अदालतकी
रायमें नाबालिगकी जातका वली बननेके लिये अयोग्य नहीं है परन्तु ऐसी दशामें इस एक्टमें दिये हुये यूरोपियन
ब्रिटिश रिआया सम्बन्धी नियमोंका ध्यान रखना चाहिये, या (सी) जबकि नाबालिगकी जायदाद कोर्ट आफ वाईसकी देख रेख
में है और वह कोर्ट आफ वार्ड्स नाबालिग्न की जातका वली नियुक्त कर सकता है।