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माबालिगी और वलायत
[ पांच प्रकरण
सकता था। चाहे उस नीलाम होनेके वक्त अज्ञानका वली मुक़द्दमा हाज़िर भी हो । अब इस ऐक्ट नं० ६ स० १६०८ ई० की दफा ६ के अनुसार अर्ज़ी देना सिर्फ डिकरी जारी कराने तक महदूद किया गया है, और दूसरी अर्जियों के बारेमें अज्ञान अपने वलो या जिसे उसने ऐसा अधिकार दियाहो उसके कामोंसे बंध जायगा और पाबंद हो जायगा ।
दफा ३७८ जिस कामकी मियाद तीन साल से कम हो
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जहां पर मियाद तीन सालसे कमहो तो वादीको अयोग्यताके ख़तम होजाने के बाद उतनी ही मियाद मिलेगी, अर्थात् वह तीन सालतक बढ़ाई नहीं सकेगी। जैसे-एक अज्ञानको जायदादके नीलामको रद्द करा देने की नालिश करने का अधिकार उसकी नाबालिग्री में पैदा हुआ, और इस हक़ प्राप्त होने के पन्द्रह साल बाद वह बालिग हुआ तो बालिग होनेके पीछे जितनी कि मियाद नीलाम रद्द कराने की क़ायमकी गई है उतनेही मिलेगी यानी एक साल मियाद मिलेगी न कि तीन साल । नज़ीर देखो - ( 1894 )
17 Mad. 316.
दफा ३७९ प्रतिवादीके अज्ञान होनेसे दात्रा बंद नहीं हो सकेगा
जिस सूरतमें कि किसी आदमीको नालिशका हक़ पैदा होगया हो, तो वह इस वजेह से अपने दावाको रोक नहीं सकता कि प्रतिवादी अज्ञान है या अयोग्य है । वादीका दावा तमादी होजायगा अगर उसने उस मियाद के अन्दर नालिश नहीं की जो मियाद उसे क़ानूनन मिली थी । दफा ३८० यह दफा कहांपर लागू नहीं होगी
दफा ६ सिर्फ उन्ही मामलोंसे लागू पड़ेगी जिन मामलोंकी मियाद लिमीटेशन ऐक्ट ६ सन् १६०८ ई० के अनुसार क़ायमकी गई है । और जिन 'मामलोंकी मियाद किसी दूसरे क़ानूनके द्वारा नियतकी गई है.. उनके लिये यह दफा लागू नहीं होगी ।
अगर कोई मियाद प्रान्तीय क़ानूनमें क़ायमकी गई हो तो यह दफा लागू नहीं पड़ेगी देखो – ( 1874 ) 13 Ben. L. R. 445; ( 1894 ) P. K. 128; C. F. 94. P. R. 64; (1890) 17 Cal. 263; (18.)2) 16 Bom. 536; (1890) P. R. 74 F. B.; ( 1897 ) P. R. 69; ( 1902) 29 Cal. 813.
मोट - हक शिफाकी नालिशमें भी दफा ६ लागू नहीं मानी जायगी ।