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नाबालिगी और वलायत
[पांचवां प्रकरण
दफा ३६४ दौरान मुकदमामें अदालत वली नियत कर सकती है
जब अदालतके सामने वली नियत करने की प्रार्थना कीगई हो और उसपर कोई क़तई फैसला न हुआ हो और ऐसा अन्देशा फरीक की तरफ़ से अदालत में जाहिर किया गया हो कि वली नियत करनेके फैसलेके पहिले या फैसले तक अज्ञानकी जायदाद में कोई आदमी नुकसान पहुंचानेकी कोशिश कर रहा है, तथा ज्यादा मुमकिन हैं कि जायदादमें नुकसान पहुंच जावे तो अदालत सब मामलेको सुनकर बीचके समय के लिये किसी वलीको नियत करेगी। देखो--गार्जियन एण्ड वार्ड्स एक्ट ८ सन् १८८०, ई. की दफा १२.
गार्जियन एण्ड वार्ड ऐक्ट (कानून वली और नाबालिग़ ) के अनुसार अदालत को यह अधिकार नही है कि किसी आदमी को नाबालिग़ का वेली मुकर्रर करते हुये, किसी तीसरे आदमीको नाबालिग़की परवरिशके लिये कुछ देने का हुक्म दे। मन्साराम बनाम मु० नारीती 87 I.C. 650 26 Punj. L. R. 21357 Lah. L.J. 193; A. I. R. 1925 Lah. 427.
अनेक कानूनोंकी कुछ दफाओंका खुलासा गार्जियन एण्ड वार्ड्स एक्ट नम्बर ८ सन् १८६० ई० इस प्रकरणमें पूरा दिया गया है यहांपर उसकी कुछ खास दफाओंका उल्लेख इसलिये करते
हैं कि पाठकोंका ध्यान विशेष रूपसे आकर्षित हो ।
दफा ३६५ वलीनियत करनेकी अर्जी में क्या लिखना चाहिये
गार्जियन एन्ड वाईस ऐक्ट की दफा १०-अगर कलक्टर साहब अर्ज न करें, तो सबको लिखी हुई अर्जी द्वारा जैसा कि सिविल प्रोसीजरमें बताया गया है उसके अनुसार करना चाहिये। जहां तक हो सके अर्जी में नीचे लिखी बातें बताना चाहिये:(१) अज्ञान का नाम, जाति, धर्म, पैदा होनेकी तारीख और रहने
की जगह। (२) अगर अज्ञान लड़की है, तो बताना चाहिये कि वह व्याही है या
क्वांरी, अगर ब्याही है तो उसके पतिका नाम और उमर । (३) अज्ञानकी अगर कोई जायदाद हो, सब बताना चाहिये। और
उस जायदादकी हालत कैसी है किस जगह है और उसकी अन्दाज़न कीमत कितनी है।