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________________ दफा ३४७] नाबालिगी और वलायत ३५१ की ज़रूरत उस वक्त बहुत थी। ऐसी सूरत में बालिग और नाबालिग दोनों मेम्बर उस के पाबंद होंगे। ___ काबिज़ वली-हिन्दूलॉ के अधीन किसी क्राबिज़ वली द्वारा किया हुआ इन्तकाल, कानूनी आवश्यकता के अतिरिक्त और किसी कारण नाजायज़. नहीं है। यदि वह नाबालिग्न की आवश्यकता या लाभ के अनुसार है तो उसकी पाबन्दी नाबालिग पर होगी । यदि इन्तकाल आवश्यकता या लाभ के लिये नहीं है, तो भी वह नाजायज़ नहीं है किन्तु नाजायज किये जाने के योग्य है अतएव नाबालिरा द्वारा उसके बालिरा होने पर, स्वीकार किये जाने योग्य है। विमुल पल्ली सीतारामम्मा बनाम अप्पम्मा 123 L. W. 2851 ( 1926) M. W. N. 238; 92 I. C. 827; A. I. R. 1926 Mad. 4573 50M. L. J. 689. सौतेला पुत्र-एक हिन्दू विधवा द्वारा, जो अपने नाबालिरा पुत्र और भाबालिग्न सौतेले पुत्रके जायदाद की प्रबन्धक है, उस जायदादके एक भागके गैरमनकूला जायदादका इन्तकाल ज़रूती तात्पर्यके लिये,जायज़ है और सौतेले पुत्र पर उसकी पाबन्दी है । बयनामा इस लिये जायज़ है कि वह एक काबिज मैनेजर द्वारा किया गया है। किन्तु किसी काबिज़ मैनेजर द्वारा, जो कानूनी रीति पर वली नहीं है और काबिज़ मैनेजर नहीं है, किया हुआ इन्तकाल नाजायज़ है । केशव भारती बनाम जगन्नाथ 22. N. L. R.5; 92 I. C. 121; A. I. R. 1926 Nag. 81. इन्तकाल का अधिकार--इन्तकाल के न्यायानुकूल साबित करने के लिये, सबूत की ज़िम्मेदारी । बैकुण्ठ नाथ कार बनाम अधार चन्द्र पैन 92 I. C. 7279 A. I. R. 1926 Cal. 653. माता द्वारा बहैसियत वली के इन्तकाल-कानूनी आवश्यकता-- खरीदार के लिये दलील-शेख मुहम्मद बनाम राम चन्द्र A. I. R. 1928 Nag. 179. वली द्वारा इन्तकाल-नाबालिग की ओर से उन नौका अदा करना, जिन की मियाद बीत गई है, नाबालिगके लिये लाभ जनक नहीं समझा जाता; अतएव इस प्रकार के कज़ों की अदाईके लिये किया हुआ इन्तकाल न्यायानुकूल इन्तकाल नहीं माना जाता । करंमन बनाम फ़जल हुसेन A. I. R. 1927 Lah. 33. वली द्वारा पिता का कर्ज चुकाने का इक़रार नामा--एक नाबालिग के वली ने, नाबालिग्न के पिता का क़र्ज़ अदा करने के लिये, जिस की अदाई के लिये नाबालिग्न पर पाबन्दी थी, कर्ज लिया। तय हुआ कि नाबालिग की जायदाद पर उस की पाबन्दी है । लाला चन्द बनाम नरहर 89 I. C. 896.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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