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दफा २४७-२४६]
दत्तक परिग्रह विधान
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तिथियों को छोड़कर शेष तिथियां शुभ हैं । लग्न यह हों- वृष, सिंह, वृश्चिक और कुम्भ । इस तरह नक्षत्र, वार, तिथि और लग्न को देख कर गोद लेनेका मुहूर्त निश्चित करना।
(१) शौनकके अनुसार दत्तक लेनेकी विधि. विधि-राजानं ग्राम स्वामिनं च निवेद्य पुत्रग्रहणात्पूर्व दिने कृतोपवासः चन्द्रतारादिबलान्विते शुभमुहूर्ते ब्राह्मणान् बन्धून ज्ञातीन सपिण्डानचाहूय सुसत्कृत्य सपत्नीको यजमानःशुभासनेउपविश्य आचम्य प्राणानायम्य देशकालौ स्मृत्वा प्रतिज्ञां कुर्यात् ।
महर्षि शौनक कहते हैं कि गोद लेने वाला, गोद लेनेसे एक दिन पहले राजा या ग्राम स्वामी (ज़मीदार या प्रतिष्ठित पुरुष ) से दत्तक लेने की बात निवेदन करके ब्रत धारण करे । ज्योतिष शास्त्रके अनुसार जिस समय चद्रमा और तारा आदि बलवान मिले ऐसे शुभ मुहूर्त में ब्राह्मण, बन्धु और जाति भाइयों तथा वंशजों को मान पूर्वक निमंत्रित करे और सबका यथोचित पूजन तथा सत्कार करे । 'यजमान' गोद लेने वाला अपनी स्त्री सहित शुद्धता पूर्वक
पवित्र आसनपर बैठे, विधिके अनुसार आचमन और प्राणायाम करनेके पश्चात् - देश, कालका स्मरण करता हुआ नीचे लिखा संकल्प पढ़े(कुशकी पवित्री पहनकर हाथमें जल लेवे और नीचेका संकल्प पढ़े)
कृत्य-विष्णुर्विष्णुर्विष्णुरित्यादि.." मम अप्रजस्त्व प्रयुक्त पैतृक ऋणापाकरण पुनाम नरकत्राण द्वारा वंशाभिवृद्धयर्थं सन्तति विच्छेद जनित प्रत्यवाय परिहारार्थ सनातन कुलधर्माणामुत्पत्तयेच समस्त पितॄणां शाश्वत ब्रह्मलोक निवासार्थं स्वस्योद्धर्तुकामोऽहं स्वकुलोत्पन्न पुत्रवता समत्व सिद्धयर्थं श्रीपरमेश्वर प्रीत्यर्थ शौनकोक्त विधिना पुत्र प्रतिग्रहं करिष्ये तदङ्गत्वेन गणपत्यादिपूजन स्वस्ति पुण्याह वाचनमाचार्य वरणं विष्णु पूजनं च करिष्ये ।