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दत्तक या गोद
[ चौथा प्रकरण
और अगर ज़रूरी रसमें किये बिना गोद लिया जाय तो वह गोद नाजायज होगा । अगर दत्तकपुत्रको वसीयत करनेके पश्चात् एक बनशीशनामा ( दानपत्र) किसी जायदाद का उसी लड़के के नाम कर दिया गया हो जो लड़का गोद लिया जाने वालाहो तो उस बनशीशनामा ( हेबानामा या दानपत्र ) की पाबन्दी इस प्रश्नपर निर्भर होगी कि क्या उस लड़के ने दत्तकपुत्रकी हैसियत गोदने वाले के दिलपर प्राप्त करली थी ? या वह दानपत्र दूसरे आदमी के नाम जैसा किया जाता है वैसा किया गया है ? Sorg. H. L. 135; Co. Con. 171 Post. 180, 182.
दफा २४७ पंजाब और जैनी
प्रांत में और जैनक़ौममें दत्तक जायज़ होनेके लिये किसी मज़हबी रसमकी ज़रूरत नहीं है. पञ्जाब कस्टमरीलॉ 3 P. 82 लखमीचन्द बनाम गाटोबाई 8 All 319.
दफा २४८ लंका द्वीपमें केशरका पानी
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उत्तरीय सीलोन (लङ्काद्वीप ) के मदलियारों में गोद लेनेकी रसम यह है कि गोद लेने वाला केशर का पानी गोदलिये जानेवाले लड़केके हाथसे पी लेवे देखो, Thesawaleme II.
दत्तक परिग्रह विधान
दफा २४९ दत्तक मुहूर्त और दत्तक लेनेकी विधि
( १ ) दत्तक लेनेका मुहूर्त -- दत्तक विधान शुभ मुहूर्त में होना चाहिये इसलिये साधारणतः नीचे लिखे अनुसार पञ्चाङ्ग देखकर नक्षत्र, वार, तिथि: और लग्नको अवश्य विचार लो । ( दत्तक मुहूर्त )
हस्तादिपंचक भिषग्वसुपुण्यभेषु सूर्य्येच भौमगुरु भार्गव वासरेषु । रिक्ताविवर्जिततिथिष्वलिकुम्भलग्ने सिंहे बृषे भवतिदत्तपरिग्रहोऽयम् ।
दत्तक लेने के मुहूर्त में इन बातोंका बिचार करना चाहिये । नक्षत्र यह हों - हस्त, चित्रा स्वाती, बिशाखा, अनुराधा, अश्वनी और धनिष्ठा । दिन यह हों - रवि, मङ्गल, वृहस्पति और शुक्र । यह तिथियां न होवें -- ४, ६, १४ इन