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दफा २३६ - २४० ] दत्तक सम्बन्धी आवश्यक धर्म कृत्य क्या हैं ? २५३
Cal. L. R. 313; 4 Mad. H. C. 165; 1 Mad, N. C. 78, 13 Mad. 214; 11 Mad. 5.
(७) दत्तक में लड़केके देने और लेनेकी रसम सबनामोंमें परमावश्यक मानी गई है चाहे वह द्विज हों या शूद्र देखो; मेन हिन्दुला सातवां एडीशन पैरा १५१; ट्रिवेलियन हिन्दूलॉ पेज १४४, रामकृष्ण हिन्दूलॉ पेज १८० (A ); घारपुरे हिन्दूलॉ पेज ८१, शम्भुशिवसैय्यर हिन्दूलॉ पेज ८ ( E ); मुल्लाहिन्दूलॉ पेज ३६२ दफा ४०३.
(८) एक मुक़द्दमा बम्बई प्रांतमें ऐसा हो चुका है कि एक पन्द्रह वर्ष की उभर वाली विधवा स्त्रीने एक लड़का गोद लिया और उसने अपनी तरफ़ से अपने एक रिश्तेदारको दत्तक हवन और अन्य कामोंके लिये नियत किया, विधवा एक कमरे के अन्दर बैठी रही । सब रस्मात उसके रिश्तेदार के द्वारा किये गये, यह बात दत्तकके इस मामलेमें आपत्तिजनक नहीं मानी गई देखो; लक्ष्मीबाई बनाम रामचन्द्र 22 Bom. 590. इसी तरह पर लड़का देने का काम भी उस आदमी की तरफ से पूरा किया जा सकता है जो करने का अधिकारी हो ।
(६) कुछ विद्वानोंका ऐसा सिद्धांत है कि दत्तकके सम्बन्धमें दूसरी रसम एसी श्रावश्यक नहीं है जितनी कि लड़केके देने और लेनेकी रसम । अगर यह रसम किसी दत्तक विधानमें न की गई हो तो वह दत्तक बिल्कुल नाजायज़ हो जायगा. बकि वह दत्तकही नहीं कहा जायगा । यद्यपि द्विजों में दत्तक हवनकी कृत्य गोद लेनेमें निहायत जरूरी है मगर अदालती फैसलोंसे यह तय हो गया है कि हवन एक मज़हबी जरूरी रसम है दत्तक विधानमें परमावश्यक नहीं है देखो; बीरपरमल बनाम नारायण पिल्ले 1 N. C. 91, 117; 1 Stra. H. L. 95; 3 Dig. 244, 248, सिंगमा बनामा वैकटाचालू 4 M.H.C. 165; सूत्रागुन बनाम सवित्रा 2 Ku. 290; 2 W. Maen. 199. इस बातकी पाबन्दी कहीं भी नहीं की गई कि कुदरती पिता अपने पुत्र को शरीर सहित उठाकर अर्पित करे । कुदरती पिताको गोद लेने के समय उपस्थित होना चाहिये, और उसे अपने पुत्रको गोद देने लेनेकी स्वीकृति प्रदान करनी चाहिये । उस समय पिता के चित्तमें अपने पुत्र के कुदरती अधिकारों के छोड़ने की इच्छा होनी चाहिये । यह आवश्यक नहीं है कि वह अपने पुत्र को हाथ पकड़ कर ही अर्पित करे । मुसस्मात चटिबाई बनाम श्रीमती कुन्दीबाई 88 I. C. 573; A. I. R. 1925 Sind. 223.
दफा २४० द्विजों में दत्तक हवन
(१) हमारे प्रचीन धर्मशास्त्रकारोंकी सम्मति इस विषय में एक दूसरे के विरुद्ध नहीं है दत्तक सम्बन्धी आबश्यक कृत्य तीन होते हैं पहला लड़के