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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
दफा २३९ दत्तकमें कौनसी कृत्य सबमें ज़रूरी है
(१) कानून में माना गया है कि दसककी रसममें लड़केका देना और लेना निहायत ज़रूरी है यही कर्म दत्तककी रसमका प्रधान अङ्ग है, दत्तककी रसमका यह कर्म लड़केको एक खानदानसे दूसरे खानदानमें परिणत कर देता है। देखोः महाशय शशिनाथ बनाम श्रीमती कृष्णा 7 I. A. 250; S. C. 6 Cal. 381; रंगनाया कामा बनान अलवर सेटी 13 Mad. 214.
(२) कानूनके अनुसार 'दत्तक' अदालतमें जायज मानाजाय इस बात के साधनके लिये दत्तक सम्बन्धी कृत्योंमें पुत्रके देने और लेनेकी रसम होना सबसे जरूरी है--10 B. H. C. 835,10 B. H. C. 26 Note; 4 M. H, C. 165.
(३) यदि गोद देनेवाले पिता या माता, और लेनेवाले पिता या माता के बीचमें दत्तक सम्बन्धी कोई लिखत होगई हो जिससे दत्तक होना ज़ाहिर होता हो तो ऐसी लिखतसे दत्तक देने और लेने की अमानी कारवाई पूरी होगई ऐसा नहीं माना जायगा जबतक कि असली पिता या माता अपने पुत्र को, खुद गोद लेनेवाले पिता या माताके गोदमें न दे दे-देखो; 6 Cal. 381 7C. L. R. 313, L. R.7 A. I. 250; 2 C. W. N. 154; 25 W. R. 1923 13 Mad. 214, लेकिन इनके साथ 11 B. L. R. 171 भी देखो
(४) दत्तकके मामलेमें लेने और देनेकी रसम अवश्य साबित करना चाहिये सिर्फ किसी इकरार मामेसे यह बात नहीं मानी जायगी कि लेने और देनेकी रसम अमलमें आई थी चाहे इकरारनामा असली बाप या मा ने और गोद लेनेवाले बाप या मा, दोनोंने लिखा हो देखो Select Case 1886 Part VIII No 44; 10 B. H. C. 235,226; 19 Cal 452,9 All. 265, 6 W. R. ( P. C.) 69; 1 B. L. R. 842.
(५) दत्तक जायज़ है ऐसा साबित करनेके लिये देने और लेनेकी रसमके अतिरिक्त यदि किसी दूसरे कामों या रसमोसे ऐसा नतीजा निकाला जाता हो तो वह काफी नहीं है देखो; 2 B. L. R. A. C. J. 279; 11 Suth 1963 11 B. I. B. 171; 19 W. R 133; 7 I. A.. 250; 6 Cal. 381;1 C. L. R. 3133825 W. B. 1927 इकरार नामा वाला मुकदमा देखो-2C. W. N. 1549 10 B.H. C..368; 10 B. H. C. 265; 25 W.R. 1920
(६) दत्तकके प्रत्येक मुहमे में देने और लेने की अमली रसूम होना साबित होना ज़रूरी है तभी दत्तक जायज़ माना जायगा देखो धीरेश्वर मुकरजी बनाम अर्द्धचन्द्रराय चौधरी (1892) 19 I. A. 101; 19 Cal. 452; शशिनाथघोष बनाम कृष्ण सुन्दरी दासी 7 I. A. 250; 6 Cal. 381; 7