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दफा १४८ - १४६ ]
बिना आज्ञा पत्तिके विधवाका दत्तक लेना
विषय में परामर्श भी न करे, तो उन दो के परामर्श न लेने का उचित कारण उपस्थित न होने पर दत्तक नाजायज़ होगा । सुब्बम्मा बनाम आदमूर्थप्पा 21 L. W. 85; ( 1925) M. W N. 107; 86 I. C. 269; A. I. R. 1928 Mad. 635.
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पति के अधिकार से सपिण्ड की स्वीकृति अन्य बात है सपिण्ड की स्वीकृति का युक्त समय पर प्रयोग किया जाना चाहिये और गोद लिये जाने वाले के निर्वाचन के सम्बन्ध में भी उसके परामर्श की आवश्यकता है । ए० ब्रह्मप्पा बनाम सी रत्तप्पा 83. I. C. 59; A. I. R. 1925 Mad 69.
दफा १४८ बम्बई और मदरासमें मनाही करनेपर विधवा गोद नहीं ले लकती
बम्बई और मद्रास प्रांत में जिस विधवाको पतिने गोद लेने से मनाही कर दी हो तो वह गोद नहीं लेसकती । अगर मनाही न हो और आशा भी न दी हो तो वह सपिण्डों की मंजूरीसे गोद लेसकती है 7 Bom H.C.R.App 1. बम्बई में यदि विधवा को पतिने दत्तक लेनेका अधिकार दिया हो मगर उसके हुक्मके अनुसार गोद न लिया गया हो तो दत्तक नाजायज़ होगा 2 Mad. 270; 30 Mad 50; 34 I. A. 22.
जब पतिने अपने मरनेके समय विधवाकी हैसियतही न रखी हो तब भी वह गोद नहीं ले सकती 24 Bom. 89.
दफा १४९ जैनियोंकी विधवाको पतिकी आज्ञा आवश्यक नहीं है.
जैनियों में बिना लड़केवाली विधवाको वही सब अधिकार प्राप्त हैं जो उसके पतिको थे । इसी लिये जब विधवा दत्तक लेना चाहे तो उसे पति की आज्ञाकी ज़रूरत नहीं है और न किसी दूसरे आदमीकी रजामन्दी दरकार है; अर्थात् वह जब चाहे अपने पतिके लिये गोद लेसकती है । देखो - गोबिन्द नाथराय बनाम गुलालचन्द 5 S. D. 276; शिवसिंह बनाम मु० दाखो 6 N. W. P. 382;5 I. A. 87; 1 Al1. 688; लखमीचन्द बनाम गाटोबाई 8 All. 319. मानिकचन्द बनाम जगत सेठानी 17 Cal 518. हरनाम बनाम मांडूदिल 27 Cal. 379.
जैनियोंके सम्बन्ध में अदालतकी यह राय है कि यह लोग दत्तकको वैसा नहीं मानते जैसा कि हिन्दुओमें धार्मिक रीतियोंके पूरा करनेके लिये माना गया है। जैनियोंमें दत्तक सिर्फ़ जायदादका वारिस बनानेके लिये लिया जाता है; देखो N. WP. 392.
( १ ) जगत सेठका केस --इस मुकेद्दमेके वाक़ियात यह थे- जगतसेठ सन १८६५ ई० में मर गये और उन्होंने गोपालचन्द्र दत्तक पुत्रको तथा प्राण.