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दत्तक या गोद
दफा १२१ नाबालिग्न विधवा दत्तक ले सकती है
जिस विधवा को पतिसे जायज़ अधिकार गोद लेनेका प्राप्त हो वह नाबालिग होनेपर भी गोद ले सकती है । माना गया है कि यह काम उसके पतिका है विधवा निमित्त मात्र है; देखो - मन्दाकिनी बनाम आदिनाथ 18 Cal. 69.
[ चौथा प्रकरण
दफा १२२ बम्बई में नाबालिग विधवाका दत्तक
बम्बई प्रांत में जब कि खानदान बटा हुआ हो, पति या कुटुम्बियों की रजामन्दी गोद लेनेके लिये ज़रूरी नहीं है । विधवा अपनी इच्छानुसार दत्तक ले सकती है । इसलिये इस प्रांतमें कोई नाबालिग़ विधवा दत्तक नहीं लेसकती जबतक कि उसे पतिकी ख़ास आज्ञा न हो लेकिन अगर कोई आदमी नाबालिग़ अवस्था में ही मर गया हो तो उसकी विधवा नाबालिग होने पर भी पति के लिये दत्तक ले सकती है; देखो - 15 Bom. 565; और देखो स्टडी आफ हिन्दूला शम्बाशिव पैय्यर 6 Ed. S. S. 164.
बम्बई प्रान्तमें विधवाका अधिकार -- बम्बई प्रान्तके महाराष्ट्र देशमें एक हिन्दू विधवा जिसके पतिने उसे स्पष्टतया दत्तक लेनेसे न वर्जित किया हो बिना अपने पति के अधिकारके ही या पतिके सम्बन्धियोंकी स्वीकृति के बिना ही गोद ले सकती है, चाहे उसके पतिकी जायदाद उस पर अर्पित की गई हो या नहीं या चाहे पति उसके साथही या अलाहिदा मरा हो । महाराजा कोल्हापुर बनाम सुन्दम् अय्यर 48 Mad 1; A. I. R. 1925 Mad. 497.
सासुकी स्वीकृति -- हिन्दू विधवाके गोद लेने में, उस दशामें जब सपिण्डकी उपस्थिति न हो, पतिकी माता ( विधवाकी सासु ) की स्वीकृतिसे दत्तक जायज़ होगा। महाराजा कोल्हापुर वनाम सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 1; A. I. R, 1925, Mad, 497.
विधवाका ध्येय - अदालतको यह अधिकार नहीं है कि उस विधवा के ध्येयके सम्बन्धमें, जो अपने पतिके लिये गोद लेती हो, प्रश्न करे । मु० चीबाई बनाम मु० कुन्दी बाई 88 I. C. 573, AIR 1925 Sind 223.
दफा १२३ अनेक विधवाओंका दत्तक
जब दो या दो से ज्यादा विधवाएं हों और दत्तक लेनेका अधिकार उन में किसी एकको दिया दिया गया हो तो बाक़ी विधवाओंकी मरज़ी न होनेपर भीकेवल वही विधवा दत्तक ले सकती है जिसे अधिकार मिला हो । अगर