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दफा १०४ - १०८ ]
दत्तक लेने के साधारण नियम
जाता है कि जिस आदमीकी स्त्री दत्तक लेने के समय गर्भवती हो वह दशक ले सकता है; नागभूषण बनाम शेशम्मा 3 Mad 180; हनुमन्त रामचन्द्र नाम भीमाचार्य 12 Bom. 105; दौलतराम बनाम रामलाल 29 All 310.
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furatsieoमें एक मुक़द्दमे में यह बहस पैदा हुई और ज़ाहिरा स्वीकार भी की गई थी कि गोद लेनेवालेने अपवित्रताकी दशामें गोद लिया है तो वह गोद नाजायज़ होगा । मगर इस खास बिनापर कोई फ़ैसला नहीं किया गया । सबब यह था कि यह विद्यार्थ्य विषय जिन बातोंसे पैदा होता था अदालतने अनावश्यक समझा । अब यह ज़रूरी होगा कि जब कोई ऐसा मुक़दमा पैदा हो तो पहलेहीसे निश्चित करलेना योग्य होगा कि कौनसी रसम या कृत्य गोद लेने के समय करना चाहिये या होना चाहिये और कौन उसमें शरीक हो सकता है। रामलिंग बनाम सदाशिव 9 Mad. I. A. 506. S. c. 1 Suth; (P. C. ) 25 और देखो मेन हिन्दूलॉ, ७ वां एडीशन चैप्टर १६ ।
दफा १०६ शूद्रों में बिना प्रायश्चित्त के दत्तक लेना जायज़ है
एक मुकद्दमें में एक शूद्रने बिना प्रायश्चित्त के ( जो द्विजों के लिये ज़रूरी है ) गोद लिया अदालतने उसे इस आधारपर मंजूर किया कि शूद्रोंमें कोई मज़हबी रस्में गोद लेनेके लिये आवश्यक नहीं हैं-सुरेन्द्रमोहन बनाम शिरोमनी 28 Cal. I71; 21 Bom. L. R. 427. 434.
शूद्र जाति में गैर क़ानूनी पुत्रके होनेसे दत्तक लेने में कोई रुकावट नहीं पड़ती महाराजा कोल्हापुर बनाम सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 1; A. I. R. 1925 Mad. 497.
दफा १०७ उत्तराधिकार से च्युत पुरुष दत्तक ले सकता है
उत्तराधिकारसे च्युत हुआ आदमी दत्तक तो ले सकता है मगर दत्तक पुत्र को दत्तक पिताले ज्यादा अधिकार न होगा। देखो दफा ६५३.
दफा १०८ कोढ़ीका गोद लेना
कोढ़ीका उत्तराधिकारी होना अथवा न होना उसके पैतृक क्रियाओंके करनेकी योग्यता पर निर्भर है- देखो भगवान रामानुज बनाम रामप्रकरण 22 Cal. 843 (P. C ) इसके बादके एक मुक़द्दमेमें यह माना गया कि शूद्र कोढ़ी दत्तक ले सकता है । वह कोढ़ी दत्तक लेनेके योग्य नहीं था, अथवा उसका रोग असाध्य था, उससे घृणा की जाती थी, जबतक इन बातोंका प्रमाण न हो तो उस सूरत में कोढ़ी का दत्तक लेना जायज़ होगा; देखोशिबकुमारी बम्बा बनाम अनन्तमेलिया 28 Cal. 168.
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