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विवाह
[ दूसरा प्रकरण
(६) किसी कुटुम्बीके मरने पर शोक मनानेके लिये जो मुद्दत नियत हो उसके अन्दर कोई हिन्दू विवाह न करे ऐसी शास्त्रकी आज्ञा है । (७) जिस हिन्दू लड़की का विवाह न हुआ हो वह विवाह कर सकती है ।
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(5) हिन्दूला में कुछ खास नियम ऐसे हैं जो सभ्य समाजकी सभ्यतापर निर्भर हैं । कुछ क़ायदोंमें हिन्दू विवाह वर्जित किये गये हैं जैसे सूतक होने पर विवाह करना वर्जित माना गया। चाहे वह सूतक जन्मका हो या मरणका - देखो - बनरजीला आफ मेरेज दूसरा एडीशन पेज ८६
दफा ५९ पति के जीवन काल में स्त्रीका दूसरा विवाह
हिन्दू जाति की कोई स्त्री अपने पतिके जीवनकाल में दूसरा विवाह नहीं कर सकती; देखो - स्थापित पितर बनाम स्थापित लक्ष्मी 17 Mad. 235; सिनाअम्मल बनाम एडमिनिस्ट्रेटर जनरल आफ मदरास 8 Mad. 169 - 173 ममुस्मृिति श्र० ६ श्लो० ४६-४७
अगर किसी आदमीने यह साबित किया हो कि उसकी जाति या प्रांत का राज है कि पति के जीतेजी विना मंजूरी उसके, स्त्री दूसरा विवाह अपने आनन्द के लिये कर सकती है तो भी अदालत ऐसा रवाज कभी मंजूर नहीं करेगी; देखो - 2 Bom 140; 1 Bom 347; 2 Bom H. C. 124, 7 Bom. H. C. A. J; 133; 7 C. L. R. 354.
जब किसी स्त्रीने पति की मौजूदगी में बिना उसकी मंजूरीके अपनी इच्छासे या दूसरोंके कहने से, दूसरा विवाह कर लिया हो या दूसरा पति कर लिया हो, तो ऐसा वह नहीं कर सकतीः खेमकर बनाम उमाशंकर 10 Bom. H. C. 381; 8Mad. 440; 8 Mad 169; अगर किसी पञ्चायतसे ऐसा करनेको स्त्रीके लिये अधिकार दिया गया हो या स्त्रीकी ऐसी इच्छा मंजूर की गयी हो, वह सब नाजायज़ मानी जायगी - देखो द्विवेलियन हिन्दूला दूसरा एडीशन पेज ३३.
दफा ६० विवाह में उमरकी कैद
ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य पुरुषका विवाह, यज्ञोपवीत संस्कार होने के पश्चात् होना माना गया है। यज्ञोपवीतके पहले विवाह नहीं हो सकता देखो दिवेलियन हिन्दू ला दूसरा एडीशन पेज ३१ इस विषय में मनुने कहा है कि गर्भाष्कुर्वीत ब्राह्मणस्योपनायनम्
गर्भादेकादशे राज्ञो गर्भा तु द्वादशे विशः २ - ३६