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विवाह
[ दूसरा प्रकरण
विवाहकी मुमानियत है । इस मुक़द्दमे में ऐसा कोई रवाज भी साबित नहीं किया गया बक्लि शहादतसे साबित है कि विवाह बिरादरीकी रसमके अनुसार और कानूनी या नाजायज़ नहीं माना गया । मैंने इस प्रांतमें माने जाने वाले प्रमाणों पर विचार किया और इस अदालतके पिछले फैसलोंपर भी मगर कोई
आधार नहीं मिला कि इस प्रकारके विवाहको मंजूर न करूं । मेरी रायमें विवाह जायज़ है मैं पति-पत्नीके पारस्परिक सम्बन्धी डिकरीको मंजूर करता हूं और अपील मय खर्चेके खारिज करता हूं, देखो-1922 Bom L. R. 5 to 16 बाई गुलाब बनाम जीवनलाल हरीलाल और इसके साथही देखो दफा १. दफा ५८ विवाह कौन कर सकता है ?
(१) नाबालिगदुलहा-हिन्दू धर्म शास्त्रानुसार तो लड़के का विवाह २४ वर्षकी समाप्ति पर करना चाहिये परन्तु स्मृतियोमें यह बात साफ नहीं कही गई कि नाबालिग अपना विवाह कानूनन नहीं कर सकता । इन्डियन मेजारिटी एक्टका असर विवाह पर नहीं पड़ता परन्तु विवाह के मतलब के लिये बालिग होना सोलह वर्ष की उमर पूरी होने पर माना जाता है । १६ वर्ष से कम उमरवाले लड़के के विवाहके लिये उसके बली की मंजूरी आवश्यक है। देखो नन्दलाल बनाम तपीदास Mor. 287. प्रत्येक हिन्दू विवाह करनेके योग्य माना गया है और प्रत्येक हिन्दू कन्या विवाह में दान के योग्य मानी गयी है जब तक कि खास आज्ञा कोई इस विषय पर न हो-देखो बनरजी ला भाफ मेरेज दूसरा एडीशन पेज ३३.
(२) पागल और बेअकलका विवाह-बेअकल और पागल पुरुषका विवाह हो सकता है हालांकि ऐसे लोग उत्तराधिकारके मामलेमें दीवानी क़ानून के मतलबोंके लिये अयोग्य माने गये-देखो देवीचरण मित्र बनाम राधाचरण मित्र 2 Mor. 99; और देखो मनु ६-२०३, मिताक्षरा २-१०-६-११; विवादचिन्तामणि टैगोरका अनुवादित पेज २४४; व्यवहारमयूख ५-११-११, स्मृतिचन्द्रिका ५-३२.
पागल और बेअक़ल आदमी उत्तराधिकार पानेके तो अयोग्य माना गया है मगर उसकी सन्तान हिस्सा पायेगी यह निश्चित है इस लिये इनका विवाह जायज़ माना गया 2 Mor. 99.
पागल आदमी विवाह कर सकता है यह बात मानी जा चुकी है मगर किस दरजेका पागल विवाहके योग्य होगा यह बात उसके पागलपनकी तादादसे निर्णय की जायगी। देखो मौजीलाल बनाम चन्द्रावती कुमारी (1911) 38 I. A. 122-125; 38 Cal. 700; 13 Bom. L. R. 634.
बङ्गाल और बम्बईके पंडितोंने यह राय दी है कि पागल विवाह करने से रोका नहीं जा सकता देखो 14 Mad. 3163; 2 Morl. Dig. 29; West and Buhler's Hindu Law 2nd ed. P. 274,