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हिन्दूलों के स्कूलोंका वर्णन
[प्रथम प्रकरण
कहें कि अमुक रवाज उस ज़ात या खानदानकी है और वह लागू पड़ती है तो ऐसा साबित करनेके वही जिम्मेदार होंगे; फणीन्द्रदेव बनाम राजेश्वर 11 Cal. 463, 476; 12 I. A. 72, 81. दफा ३५ नाजायज़ रवाज
मोरवाज सव्यवहार,आम प्रजाकी नीति और व्यवस्थापक सभा द्वारा बनाये हुये किसी कानूनके विरुद्ध हो, वह रवाज नाजायज़ मानी जायगी जैसे नायकिनका लड़की दत्तक लेना नाजायज़ रवाज होगी अगर ऐसी वाज साबित भी की जाय जहांपर वह जायज़ मानी जाती हो तो भी वह नाजायज़ होगी; मथुरा बनाम यूशू 4 Bom. b45. हीरा बनाम बाघा 37 Bom. 117. दफा ३६ कानुन साथ जाता है
यह बात कही जाचुकी है ( देखो दफा १५, २४, २६ ) कि हिन्दुस्थान भरमें हिन्दूलॉ के माने जानेके साथही किस किस भागमें कौन कौन स्कूल माना जाता है यह बात याद रखना चाहिये कि, हर एक प्रांत अपने धर्म और रवाज के अनुसार किसी न किसी स्कूलके ताबे किये गये हैं और उनके निवासी उस धर्मशास्त्रके पाबन्द माने जाते हैं इसलिये जो हिन्दू हिन्दुस्थानके किसी प्रांतमें रहता हो, यह मानलिया जायगा कि वह उस कानूनका पाबन्द है जो कानून उसके प्रांतमें प्रचलित है। यह रहने वालेका प्रांतिक कानून नहीं है बल्कि उसका ज़ाती कानून है और वह उसके खानदानकी हैसियतका हो जाता है जैसे - कोई राजपूतानाका रहनेवाला मारवाड़ी अगरवाल जहां पर कि बनारस स्कूल लागू माना जाता है, कलकत्तेमें चला जाय जहांपर बङ्गाल स्कूल माना जाता है तो चाहे वह जितने दिनका रईस कलकत्तेका होगया हो यह माना जायगा कि वह अपना कानून ( बनारस स्कूल) अपने साथ लाया हैं जबतक कि इसके विरुद्ध साबित न किया जावे ऐसाही माना जायेगा।
हिन्दुस्थानके किसी हिस्सेमें रहनेवाले आदमीके बारेमें अदालत यह न्याल करेगी कि वह उसी कानूनको मानता है जिस कानूनके अस्त्यार में पहिले वह था देखो-रामदास बनाम चन्द्र 20 Cal. 409. पार्वती बनाम जगदीश 29 Chl 433; 29 I. A. 82 सुरेन्दोनाथ बनाम हीरामनी 12 M. J. A. 81. गोविन्द बनाम राधा 31 All 477. जगन्नाथ बनाम नारायण 84 Bom 553. मैलही बनाम सुव्वारैय्या 24 Mad. 650. कुलड़ बनाम हरीपद 40 Cal. 407 (1913 ) और देखो मेन हिन्दूला सातवां एडीशन पैरा ४८, तथा दफा १२-१२.
तजोरका शाही महाराष्ट्र खानदान बम्बई प्रान्तसे लगभग सन् १६७४ १० में प्रस्थानकर मदरास प्रान्समें गया था, और तयसे यह तजौरमें बसा