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दफा २४-२५ ]
. हिन्दूलॉ के स्कूलों का वर्णन
दफा २४ कौन स्कूल कहां पर माना जाता है
दायभाग केवल बङ्गालही में मानाजाता है और कई एक मुक़द्दमों में मिताक्षरा के अनुसार भी वहां पर फैसले हुये हैं । बाक़ी हिन्दुस्तान के बड़े भाग में मिताक्षरा मानाजाता है, पंजाब में कस्टमरीलों का प्रचार मिताक्षराके साथ साथ होगया है । मिताक्षरास्कूल चार बड़े हिस्सों में बटा है ( देखो दफा १५) नीचे उक्त चारों स्कूलोंकी सीमायें देखो ।
दफा २५ बनारस स्कूल
यह स्कूल बिहार, जिला बनारस, मध्यवर्ती भारत और उत्तरपश्चिम भारत तथा तमाम उत्तर भारतमें प्रचलित है केवल पंजाबमें इसके साथ साथ कस्टमला भी लागू किया गया गया है । मिस्टर मोर्ले अपनी डाइजेस्टकी भूमिकामैं कहते हैं कि उड़ीसा में भी यही स्कूल प्रचलित है देखो -- विशुन प्रियामनी बनाम सुगंधरानी 1, Ben. Sel. R 37, 39. दूसरे एड़ीशनके पेज 49, 51 का नोट भी देख लीजिये ।
मिस्टर मेकानाटन कहते हैं कि, उड़ीसा में भी वही मान्य ग्रन्थ माने जाते हैं जो बङ्गाल में माने जाते हैं । मगर पण्डितों की राय इस मुकदमे बङ्गाल के प्रमाणोंके अनुसार नहीं रही, जैसा कि मिस्टर मेनने अपनी हिन्दूलॉ के सातवें एडीशनके पैरा ११ में बयान किया है । उड़ीसाके एक दूसरे मुक़द्दमेमें जिसका ज़िकर मेकनाटन के हिन्दूलॉ के पैराग्राफ ३०६ में किया गया है कहते हैं किउस मुक़द्दमे में पंडितों की राय मिताक्षराके अनुसार दीगयी थी देखो रघुनाथा बनाम व्रजकिशोर 3 I A. 154; 1 Mad 69; 25 W. R C. R. 291. जो कि गांजम प्रांतका एक मुकद्दमा था और वह प्रांत उड़ीसा के प्राचीन हिन्दू राज्य में शामिल था द्रविड़ स्कूलका लॉ बिना संकोचके लागू किया गया था इस विषय में मिस्टर मेनने सातवें एडीशन पैरा ११ में राय जाहिर की है कि उस मुक़द्दमे में अदालतने वही क़ानूनलागू किया जिससे अदालत बहुत वाक़िफ थी । रघुवानन्ददास बनाम साधुचरणदास 4 Cal. 425; 3 C. L. R.534 में जो कि, उड़ीसाका मुक़द्दमा था मिताक्षरा लॉ लागू किया गया था और भी देखो कालीपद बनरजी बनाम चैतन्य पराड़ा 22 W. R. CR. 214. जोगेन्द्र भूपति हरीचन्द्र महापात्र बनाम नित्यानन्दमानसिंह 17 I. A. 128, 18 Cal. 151. पार्वती कुमारी देवी बनाम जगदीश चन्द्रधवल 29 I. A. 82, 29 Cal 432; 6 C. W. N. 490; 4 Bom. L. R 365 में अदालत के फैसले में ज़ाहिर हुआ है कि उड़ीसा में मिताक्षरा लाँ प्रबलित है लेकिन जुडीशल कमेटीने इस प्रश्नका फैसला नहीं किया ।
जे० आर० घारपुरे हिन्दूलॉ दूसरा एडिशन पेज १६ देखो- --कहा गया है कि बनारस स्कूल वहांपर लागू होता है जहांपर मिताक्षराके अधिकार