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दफा २३]
हिन्दूलॉ के स्कूलोंका वर्णन
( ख ) स्मृतिचन्द्रिका--जिस समप दक्षिण भारतमें बिजयनगर राज्य
था उस समय देवानन्द भट्टने इस ग्रन्थको लिखा था देवानन्द तेरहवीं शताब्दी में हुए उनके ग्रन्थका अङ्गरेज़ी अनुवाद श्रीयुत
कृष्णसामी ऐय्यर मदरास निवासीने सन १८६७ ई० में किया। (ग) दायभाग--यह बंगाल स्कूलका दायभाग नहीं है। इसके कर्ता
थे विजयनगर नरेशोंके प्रधान मंत्री माधवी । यह चौदहवीं शताब्दीके उत्तरार्द्ध में हुए, इनके ग्रन्थका अनुवाद डाक्टर बरनलसाहब
ने अङ्गरेजीमें किया है। (घ) सरस्वतीविलास--सोलहवीं शताब्दीके प्रारंभमें या चौदहवीं
शताब्दीमें उड़ीसाके एक राजा प्रतापरुद्रदेवने इसे लिखा और
पादरी मिस्टर फोलकेसनने अगरेजी अनुवाद किया। (ङ) वरदराज-वरदराजने इस ग्रन्थको लिखा था वे सोलहवीं या
सत्रहवीं शताब्दीमें हुए यह तामिल देशके रहनेवाले थे डॉक्टर
बरनलने इस ग्रन्थका अगरेजी अनुवाद किया है। (च) दत्तकचन्द्रिका--( देखो दफा ९) यह दत्तकविधानके दो खास
ग्रन्थों से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इसग्रन्थका आदर द्रविड़ में किया गया है। इस ग्रन्थके कर्ता बंगालके कुबेर थे। भट्टाचार्य हिन्दूला जिल्द १ एडीशन तीसरा पेज ३२८ में कहा गया है कि साधारणतः ऐसा कहा जाता है कि इस ग्रन्थके कर्ता देवानन्दभट्ट थे । परन्तु इसी विषयमें ऐसे भी प्रमाण हैं कि बहिर्गाछी निवासी पं० रघुमणि इसके कर्ता थे जिनका देहान्त सन् १६८६
ई० में हुआ। (छ) पराशरमाधवीय--यह ग्रन्थ पराशरस्मृतिका माधवाचार्यकृत
टीका है । बनारस और दक्षिण तथा पश्चिमके स्कूलमें यह बड़ा मान्य है माधवाचार्य विजयनगर नरेशोंके प्रधान मन्त्री थे । सर विलियम मेक्नाटन, सर टामसस्ट्रेन्ज, मिस्टर कोलछुक आदि सभी बड़े मान्य यूरोपियन विद्वान इस बातमें सहमत हैं कि दक्षिणभारतमें मिताक्षरा, स्मृतिचन्द्रिका और माधवीय सर्व प्रधानमान्य ग्रन्थ हैं । स्मृतिचन्द्रिका और माधवीय यह दोनों
द्रविडस्कूलके खास ग्रन्थ हैं । देखो 12 M. I. A. 437. (ज) रघुनन्दन-यह दक्षिण हिन्दुस्तानमें नहीं माना जाता--31 M.
100; 18 M. L. J. 70; 2 M. L. T. 533. ___(५) बङ्गालस्कूल--दायभागस्कूल--पन्द्रहवीं शताब्दीमें जीमूतवाहन और रघुनन्दन मिश्रने जारी किया था--