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दफा ७६५ ]
स्त्रीधन की वरासत
अदालत पहिले ऐसा मान लेगी कि उस स्त्रीका विवाह ब्राह्मरीति से हुआ है और यही बात प्रतिष्ठित घरानेके शूद्रों के विषयमें भी मानेगी; देखो जगन्नाथप्रसाद गुप्त बनाम रनजीतसिंह 25 Cal. 354; 32 Mad. 512; यही कायदा मूसाहाजी बनाम अबदुल रहीम हाजी 30 Bum. 197 में लागू किया गया था । उत्तम घराने के विषय में, देखो - जगन्नाथ रघुनाथ बनाम नारायन 34 Bom. 553; 12 Bom. L. R. 545.
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पति के पश्चात् वरासतके क्रमके विषय में कुछ मतभेद है- सर जी० डी० बनर्जी मिताक्षराका वह अर्थ मानते हैं जो कमलाकर भट्टने किया है। उसके अनुसार ( १ ) पतिके वाद ( २ ) सौतेला पुत्र वारिस होता है, देखो - 33 Mad. 138; और देखो मे नहिन्दूलॉ 7 El. P. 895. उसके बाद । (३) सौतेला पौत्र - ( ४ ) सौतेला प्रपौत्र, देखो - गोजाबाई बनाम शाहाजीराव मोलोजी राजे भोंसले 17 Bom 114; उसके पश्चात् ( ५ ) दूसरी स्त्री; देखो - केशरबाई बनाम हंसराज मुरारजी 33 I. A. 176; 30 Bam. 431; 10 C. W. N. 802; 8 B L. R. 446; पति के भाई के या पतिके भाईके पुत्र के होते दूसरी स्त्री वारिस मानी गयी कृष्णाबाई बनाम श्रीपति 30 Bom. 333; 8 Bom. LR. 12; ( ६ ) सौतेली बेटी - सर जी० डी० बनर्जी लॉ आफ मेरेज 2 Ed. 388. में कहते हैं कि सौतेली बेटी के पुत्र से पहिले सौतेली बेटीका हक़ है, पीछे ( ७ ) सौतेली बेटीका पुत्र - (८) पतिकी माता, ( ) पतिका बाप, ( १० ) पति के भाई क्रमसे वारिस होते हैं - यह माना गया है कि सगेके बाद सौतेले वारिस होते हैं, देखो - 30 Bom. 607; उसके बाद (११) पतिके भाई के पुत्र देखो - बच्चाझा बनाम जगमनझा 12 Cal. 348; यह केस मिथिला स्कूलका है । इसके बाद ( १२ ) पति के दूसरे गोत्रज सपिण्ड, पीछे समानोंउसके पीछे बन्धु स्त्रीधनके वारिस होते हैं ।
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पतिकी बहनके पुत्रोंके होते, पति के प्रपितामहके प्रपौत्र और उस स्त्री की सगी बहन के पुत्र वारिस नहीं हो सकेंगे, देखो - 24 Cal. 344. ( मिथिला ) 28 All 345. पतिके भाईकी लड़की का लड़का, बहनकी लड़की के लड़केसे पहिले वारिस होगा 21 Mad. 263.
चम्पत बनाम शिब्बा 8 All 393 में पतिका दूरका सपिण्ड वारिस माना गया है। यहां तक ब्राह्म विवाहके अनुसार कहा गया । आगे असुर विवाह देखो ( दफा ४०-४१ )
आसुर विवाह - अगर विवाह आसुर रीतिसे या किसी स्थानिक या खास रीति से हुआ हो तो निःसन्तान स्त्रीका स्त्रीधन उसके मरनेके बाद निम्नलिखित क्रमसे मिलता है
( १ ) माता ( २ ) पिता ( ३ ) बापके वारिस (४) माताके वारिस |