________________
भविसयत्तकाए
तं णिसुणिवि दिण्णउं पडिउत्तरु तुहुं सुसामि सप्पुरिसु महंतरु | परमहु मणि ण ठाइ तउ जंपिउ काणीणहं कायरहं मणपिउ | एउ कम्मु परदीणवरायहं असरीरहं परिपीडियकायहं । अह धुत्त सुलोपरिभूयहं मुहमहुरहं पच्छण्णविरूअहं । जं वेत्तणेण विढविज्जइ तेण काई किविणत्थें किज्जइ । आसणसयणपमुह उवदांणेहिं भोयणु देइ गरुयसम्माणिहिं । मित्त कैरिव हियवह ताडिज्जइ कयविक्कयच्छलेण वंचिज्जइ । होइ अत्थु जो एण विहाणि तेण काई बहुदुक्खणिहाणि । धत्ता । जं अतुलु तुलिवि आढत्तइण होइ जसहु आवाहणउं ।
तं धणु विलसंत वयं हंमि सुहडहं चरियपसाहणउं ॥ ७ ॥ तं णिसुणेवि भणई वणिसारउ मई पडिवण्णु वयणु तुम्हारउ | तुहुं म करेहि किंपि कयविक्कर अच्छहि पउरमज्झि समडक्कउ । मं भणिवि कवि पडिवक्कहि विलसहि मज्झु अत्थु जिम सक्कहि । तं णिसुणेवि पप णंदणु सजणजणमणणयणाणंदणु । णियववसायदाय उच्छल्लह अतुलु होइ माहप्पु महल्लह । परि वित्तु अत्थु विलसंतह कवण कित्ति जसु कवणु जियंतह | अव ताय काइ वित्थारिं पुत्र्वक्कियकम्महो अणुसारिं । रहो बुडि उप्पज्जइ तेम होसइ पुब्वविहिउ जं जेम ।
१६
तिं वयणि धणवइ संवासिउ समउ सरूवइ मंतु पयासिउ । बंधुअतु असगाहिपहउ णियववसायदाय संघउ ।
लइ तं करउ किंपि जं विहियउ होसइ पुव्वजम्मि जं लिहियउ । धत्ता । पडिवजिउ तं पि सरूअइ सावि सुरु चिंतंति थिय ।
किं सुंदरु किंतु ण सुंदरु लइय गमणवावार किय ॥ ८ ॥ तुरिउ गमणसामग्गि पयासिय सुइसत्थत्थवंत संभासिय । जाणाविउ भूवालणरिंदहो समइ परिट्टिउ सज्जणविंदहो । हमग्गि कुलसीलणिउत्तहं घोसण दिण्ण पुरउ वणिउत्त । चल्लउ जो चल्लइ कयविजें बंधुअतु संचलिउ वणिजें । साहुमाणि वणिउत्त चाहइ अधणहं भंडुल्लई संवाहइ ।
१ B दीणहंमि २ B दाणई ३ B करेवि हियई ४ B विलसतहं यंतहमि ५ B मुहि ६ B गियय ७ B भंडोल