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भविसयत्तकहा। तासु पुराइउ कम्मु अणि? जाइवि धणवइहियइ पइछ । सा कमलसिरि तं जि अवलोयणु चरियइं तं जि ताई णवजोव्वणु । तं जि ताहि चारित्तु सुणिम्मलु तं वच्छल्ल वयणु पियकोमलु। णवर पुव्वकम्महो परिणामि कमलुवि णउ सुहाइ तहो णामि । जो चिरु पियपेसलई चवंतउ मुहमुहेण तंबोलु खिवंतउ । अणुदिणु पियवावारपसंसउ तेहु वइ आलावणि संसउ । जो परिहासई केलि करंतउ पणयसमिठु माणु सिहरंतउ ।
सो वइ परिचत्तसणेहउ ता किं होइ ण होइ व जेहउ । घत्ता । तं पिक्खिवि मिल्लिय मंदरसु चलिउ पिम्मु परियत्तगुणि ।
रणरण वहंति महच्छिमइ बहवियप्प चिंतवइ मणि ॥४॥ णाहु विरचमाणु पिक्खंती परिचिंतइ मैणि खेइज्जती। एउ अउव्वु किंपि अविसिट्ठउ एहउ मई ण कयाइवि दिट्ठउ । गुणिहिंमि गुणअत्तं तिहि रूसइ उवयारिवि दुव्वयेणिहिं दूसइ। विणउ वि अविणयरूविं मन्नई रयणिहिं रइसंगमि अवगणइं । एवहिं काई करमि हां आयहो निकारण विणट्ठसंकेयहो । एम दुक्खु हियडइ साहारिउ पणएं खेड्डु करिवि पच्चारिउ । एउ किर काई वियंभिउ वडुउ अहिणउँ पई पारंभिउ खिइँउ । जइ पढमउं जि हुंर्तुं तुहं एहउ तोकिर को करंतु मणि रेहउ । पहिलउ दरिसिवि अतुल सणेहु निम्मलगुणहं भरेविण देहु ।
एव्वहि ककस लील पयासिय किं हुअ अण्ण कावि पियभासिय । घत्ता । सप्पुरिसहु एउ जम्मसएवि ण संभवई।
जं विणु अवराहि सेविजंतहं चलइ मई ॥५॥ अण्णुवि सुहिसयणहं लजिजइ पउरलोइ वड्डत्तणु हिजइ । मत्तलोइ खलु चंचलु वासउ संपय जीउ सरीरु असासउ । जोव्वणु दियहिं दियह विलिज्जइ अणुदिणु जररक्खसिए गिलिजह। जइ मई कोवि कियउ अवराहु तोवि खमिजद मिल्लिवि गाहु। तं तहिंतण वयणु अवगण्णई चिरउवयारुवि तिणसमु मन्नई। १ B जि तं जि २ B तहो ३ B मणेण खिजंती ४ B तह ५ B दुवयणह ६ B खेडु ७ B खेडउ ८ Bहोंतु ९ B भरेविण १० B सप्पुरिसहो एहु ११ B सेविजंतई १२ B दियहें दियहो १३ B अवगणिवि
१४ Bमाणिवि