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भविसयत्तकहा
काई आसि हउं अन्नभवंतरि होसमि काई विचित्तनिरंतरि । अणुवि नियनयविणयनिउत्तरं घरि अवयरिवि नाह वणिउत्तरं । कवण पुव्वि भावण महं भाविय जेण रायसंपय संभाविय । अन्नुमि इक्कदव्वसुहसेविहु अहिउ सणेहु बिहिंमि महविहु । बहुभिचहं विलहंति वसुंधर तं कम्मेण केण परमेसर । धत्ता । महु जणणि नाह पाविवि संपइ विहउ थिरु |
किं कारण जेण विसहिउ इट्ठविओउ चिरु ॥ १ ॥ अणुमि नाह दुलंघि दुसंचरि हउं चिरु भमिउ तिलयदीवंतरि । तइयहं सुप्पहजणणि कुमारी नवजोव्वणगुणरूविं सारी । कहिय सुरिंदं अक्खरबंधिं तं किर केण पुव्वसंबंधिं । भई महामुणि सुअणसमिद्धउ अइरावइ अरिनयरु पसिद्धउ । तहिं नरवइ मरुनामु महोयरु घर महएवि मंति वज्जोयरु । वज्जोयर तो पियकमलक्खण कित्तिसेण तहिं दुहिय वियक्खण । ताहि कंतु असरिसु अवियक्खणु चोरु जारु जूआरु अलक्खणु । दुव्वियड्डू परिवज्जियसुत्तउ भमई नयरि दुव्वसणिं भुत्तउ । वत्थाहरणुवि ताहि न मिल्लह सोच्छुहेवि जूअप्फडि खेल । चच्चरि वेसायणि रद्द माणई सुललिय गन्भेसरि अवगन्नई । धत्ता । कुलविहविं सार रइरसपसरुभिन्नभुअ ।
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दुष्पयघरवासि झरइ मंतिहितणिय सुअ ॥ २ ॥ सावरजुवइ निरारिउ लज्जइ धणु विहोउ निष्फलु पडिवज्जइ । कोसियतावसनिलइ विहावइ तहो वयणि वइराएं भावइ । अणुमि जणमणनयणाणंदणु धणयलच्छि धणयत्तहो नंदणु । वणि धनमित्तु नामु तहिं आवह सोवि ताहि लोयणहं मुहावइ । बालकुमारहो समुहुं पलोअई अणिमिसनयण वयणु अवलोयई । ताह बिहिंमि अहिलसियां चित्तई बिहिंमि गयई संदेहचरितई | नवर ताहि वज्जोअरधीयहि गुणवंतहि जणणहं सुविणीयहि । वम्महसरहं विरोलिङ अंगउ चिंतंतिहि तहि सुरयपसंगउ । एकइ बाल सुरूवि सोहइ तणु इज्जति निरारिउ मोहइ । दूसह मयणावेसु विडंबइ गलि लाइव डिंभउ परिउंबई । मोअंगु वियारहिं भज्जइ पहुपंगणि पइसंति विलज्जइ ।