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भविसयत्तकहाए घत्ता । तं सुणिवि तियाहि अंगरगई रोमंचियइं।
सुमरेवि कयाई पुव्वभवंतरसंचियइं ॥३॥ तो कयविणयविहूइसणाहिं पुच्छिउ पुणुवि नाहु नरनाहिं। परमेसर तहो काई विहायउ जो पाडुडइं विणासिवि आयउ । हुउ मणवेउ दुवकु महंतउ सोवि सुवछु कवणगइ पत्तउ । जा सविसुद्धचरित्त महासइ सावि तिवेइय काई करेसइ । भणइं मुणिंदु सुवक्कु विओएं दुग्गहगमणि पडिउ सुहिसोएं। बहुभवगहणु भमेविणु आइउ अजगरु मेरुकडइ संजायउ। वासवसुइण सुम्मणवंतए इट्टविओयसोयसंतत्तइ। दिट्ट गंपि कंपिल्लहि राणउं तुहु चिर सामि अम्ह पिउराणउं ।
अह भत्तारु मज्झु मिल्लावहि अह गयवरदंतहिं पिल्लावहि । घत्ता । तं निसुणेविणु ताहिं अहरु फुरंतउ दिढवयणु।
मिल्लाविउ विप्पु दरिसिउ बहुसम्माणधणु ॥४॥ तेणवि तं चिरु वलिवि न जोइउ नियमणु मरणमहन्न विढोइउ । करयलि धरिवि तिवेय खमाविय जामि कंति चिरु मई संताविय । तं निसुणेवि जलोल्लियनित्तई पइ पभणिउं विहलंघलगत्तए। बहुकालहो परएसहो आयउ पुणु राएं गुत्तिहिं संपाइउ । एत्तियकालहो जाउ समागउ एवहिं मरहिं निरारिउ चंगउ । हउँ पर पहं जम्मु वि अवगणिय विविहनवल्लजुवइ पई मण्णिय । एवहिं लड्डु नाह आवग्गउ हमि करमि जं गोत्तहो चंगउ ।
तिं साहसिण सोवि आणंदिउ तं जुअलउ पुरलोएं वंदिउ । घत्ता । कड्डाविय कट्ठ चउपासहिं सुहिसयण हुअ।
गलि लग्गिवि तासु अप्पउ हुअवहि डहिवि मुअ ॥५॥ साहुकारु करंतिं लोएं निग्गउ जीउ ताहं अणिओएं। सलहइ जणु सकियत्थई एयई बेनिवि नवर हुअई वणि केयई । पुणु तहिं मरिवि अयाणियसन्नई वणि तावसई बेवि उप्पन्नई। बिणि भवंतर भुंजिवि भोयई पुणु विहडियई अदिवविओयई । जो चिरु अग्गिमित्तु दिउ होतउ सो इउ तिलयदीउ संपत्तउ । हुउ माणेसरु जक्खु महाइउ तुहु सविमाणु जेण उच्चायउ । जा मुअ तेण समाणु निवेइय तिन्नि भवंतर भमिय तिवेइय ।