________________
६४
भविसयत्तकहाए घत्ता । संपेसिवि जक्खु भवणि वियणु एकंतु किउ ।
सुहु कुसलु भणंतु भविसु जणेरिहि पुरउ थिउ ॥७॥ तो आसीस देवि पियवायए अक्खिउ कुसलु सवित्थरु मायए । अज्जु कुसलु बहुसोक्खहं साइउ जं तुहुं महु घरपंगणि आयउ । तं चिंतविउ आसि तउ अंगहो जं निवडउ दुजणहो दुसंगहो । महुंमि सरीरि जीउ सविसेसिं रक्खिउ मुणिवरवयणाएसिं। अन्नुमि तउ विओइ संजमनिहि सुअपंचमि मई लइय महाविहि । जंपइ भविसयत्तु परिपुंगलु होसइ रिद्विविद्धिसुहमंगलु। पुच्छइ निहुअसमासपडायउ बंधुयत्तु किं इत्थु परायउ । अक्खइ जणणि तासु सव्वायहो वह मासु इक्कु घरि आयहो।
तेणवि अतुल महाधणु आणिउ राएं पउरसहिउ सम्माणिउं । घत्ता । अण्णुमि जणि घोसु सुम्मई आणिय तेण तिय।
तहि वन्नई लोउ कावि अणोवमरूवसिय ॥ ८॥ अण्णुवि जणि अचरिउ पंयपइ नवि केणवि समाणु सा जंपइ । नउ विहसइ नउ तणु सिंगारह नउ लोयणहं अंसु विणिवारइ । अच्छइ पडिय गरुयउव्वेवइ जणु संदेहु करइ जीवेव्वइ। तहविहु तह विवाहु आरंभिउ तेण सयलु पुरुलोउ वियंभिउ । सुहमंगलजण जणियायल्लहो आयरु अज्जु अत्थि तहु तिल्लहो । तो पच्छन्नपवित्ति समारिवि निययजणेरि समासइ वारिवि । अप्पुणु गउ राउलहो तुरंतउ पाहुडु रयणकिरणदिप्पंतउ । नेवि समप्पिउ नरवरनाहहो पियसुंदरि महएवि सणाहहो । तेणवि सो सविसेसिं जोइउ रयणनिहाणु जेम अवलोइउ । पभणिउं साहिलासु किं किजउ भणइं कुमार विणयवयणिजउ । देव इत्थु तउ नयरि न एणवि महु संबंधु अत्थि सहु केणवि ।
सो पिक्खिव्वउ पई मज्झत्थि जोइवि गुणदोसई परमत्यि । पत्ता । तो जंपइ राउ एत्तियमित्तिं किं गहणु।
तउ मग्गिउ देमि अन्नुवि नीसंदेहु भणु ॥९॥ तो जाणिवि नरिंदु सुपसाइउ पुणरवि भणई कमलसिरिजायउ । जह पहु महु पसाउ अणुवल्लहि तो पइ सारवास मोकल्लहि । तं निसुणेवि तुरिउ साणंदि तजिय नियपडिहार नरिंदि ।