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भविसयत्तकहा
आई कावि घुसि बहुपरिमलु कावि निरंजणनयणिहिं कज्जलु । दरिसइ कावि समुज्जलवत्थई कावि कुंदकुसुमई सुपसत्थई । कवि समुज्जलु दप्पणु दावइ कावि निहित्त चित्त परिभावइ । कावि ताहि तंबोलु समप्पइ कावि किंपि सवियारउ जंपइ । धत्ता । वरजुवइहिं ताइ मुहप्पियहं उवयारसार भावट्ठियां ।
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पिक्खेविणु सा भविसाणुमहं पचेलिउ दुक्ख समुव्वहइ ॥ ७ ॥ एत्थंतरि परिओसियमणेहिं आणंदु पणच्चिङ सज्जणेहिं । ओरसह तूरु जयनंदिघोसु पइसरइ सरइ जणु जणियतोसु । दिज्जइ हरियंदणु घुसिणु सारु पिज्जइ पियवयणामोयचारु । खिज्जइ अणिgलोयाहिमाणु दीसह सुहिसंगमु रइनिहाणु । नच तरुणीयणु कयपयासु महमहइ चूयमयरंद्वासु । रम्म सोहलउ मणोहिरामु विलसिज्जइ दिजइ धणु पगामु । पडुपडहसंखकाहलनिनादु अंतरिवि चडइ वंदिनहं सहु । तहिं जो कि सुहिसयणाणुराउ सो दुक्करु तहो जम्मणि विजाउ । घत्ता । एत्तहिं महुमासहो आगमणु एत्तहिं पियपुत्तसमागमणु ।
परमोच्छवि रोमंचियभुवहो मुहुं वियसिउ धणयत्तहो सुवहो ॥ ८ ॥ जिम तित्थु तेम पंचहिं सएहिं किय भवणसोह निव्वुइगएहिं । घरि घरि मंगलई पघोसियाई घरि घरि मिहुणई परिओसियाई । घरि घरि तोरणई पसाहियाई घरि घरि सयणई अप्पाहियाई । घरि घरि बहुचंदणच्छडय दिन्न मरुकुंदवणयद्वणय पइन्न । घरि घरि सरेणुरइपिंजरीउ सोहंति चूयतरुमंजरीउ । घरि घरि चच्चरिकोऊहलाई घरि घरि अंदोलय सोहलाई । घरि घरि कय वत्थाहरणसोह घरि घरि आइड महाजसोह । घरि घरि सरूवरंजियमणाई जुवइहिं जोइयां सदप्पणाई । धत्ता । घरि घरि जलमंगलकलस किय घरि घरि घरदेवय अवयरिय । घरि घरि सिंगारवेसु धरिवि नच्चि वरजुवइहिं उत्थरिवि ॥ ९ ॥ तं गयउरु सो पउरसमागमु सो सियपक्खु वसंतहो आगमु । ताई निरंतराई चूअवणई ताइं धवलपुंजवियई भवणई । सो बहुपरिमलड वणतूरंड पियसुहसीयलु दाहिणमारुउ । सा पुरसोह का उवमिज्जड जा पिक्खिवि सुरहिमि रद्द किज्जइ । १ A सुरहमि रइ दिजइ