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भविसयत्तकहाए अग्धजलोहु पिहिय सिंगारिं दिन्नु सुवन्नमेणभिंगारिं । आसणु कणयवीङ अप्फालिउ सुयणु बट्ट वयणु पक्खालिउ । किउ गउरउ मग्गें पडिसूरिं वरतंबोलु दिनु कप्पूरें । मयपरिमलघणघुसिणामोइउ गंधामलयपिंडु संजोइउ । कंचणपत्ति करेवि समप्पिउ तेण वि सरसु वियारउ जंपिउ । न्हाइवि कमलमहासरि आयउ पइसारिउ संतिहरु महाइउ । भोयणु भुंजाविउ सुहचारिहिं छडरसलड्डुअखंडपयारिहिं । देविणु विणयवयणु संभालिउ चुट्टिउ सलिलु वयणु पक्खालिउ । मिसलिवि परमामोयविमहणु करयलि मलिवि दिन्नु हरियंदणु । पुणु घुसिणिं मयपरिमलपूरि पुणु तंबोलु दिन्नु कप्पूरिं । करपेसियई णियंबनियत्थई मणिकडयई देवंगई वत्थई।
पुरउ निविट्ठ सुअणु अवलोइउ सयलु वि नियवित्तंतु निवेइउ । घत्ता । तउ काई कहमि सुंदरसुयण अम्हहंतणिय विचित्त कह ।
निसुणंतकहंतहं जणियभय कन्नंतरहो वि दुव्विसह ॥ ११ ॥ राणउं इत्थु जसोहणु होतउ सो इउ तिलयदीउ भुंजंतउ। तह भवयत्तु समुन्नयमाणउं मज्झु पियरु वणिवरहं पहाणउं । मायरि मयणवेय सुहचिट्ठी तह नायसिरि नाउं सस जिट्ठी । हउं भविसाणुरूव लहुआरी तिहिमि ताहं पाणहंमि पियारी । तिनिमि ताई आसि गुणवंतउ तिन्निमि जिणवरसासणि भत्तउ । तिन्निमि दिवसम्मत्तपहावई तिन्निमि गुरुवच्छल्लसहावहं । तिनिमि दिनचउन्विहदाणई तिन्निमि नयरि समुन्नयमाणई ।
तिन्निमि ताई बहुग्गुणभरियई खलविहिकलिकालिं अंतरियई । घत्ता । तं निययकुडुंबु सुमरिवि अंगई हल्लियई।
हुअ गग्गिरवाय नयणई अंसुजलोल्लियई ॥ १२ ॥ बहुअच्छरियवयणसंखुक्तिं किउ हुंकार पुणु वि वणिउत्तिं । अंसु फुसंति चवइ मिगलोयण हेहामुहमुहकमलपलोयण । आवइ असुरु इत्यु बलवंतउ सो परिभमई नयरु जगडंतउ। पट्टणि तेण सयलु जणु मारिउ दल वहिवि समुद्दि संचारिउ । केण वि कारणेण खलदुटिं हउं परिहरिय तेण पाविहिं । १B संवुत्ते