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पर, तुम्हें कुछ अनुभव नहीं होता।
मुक्ति के अनुभव का अर्थ इतना ही है कि वह जंजीरों का ही अनुभव है। जंजीर बंधी रही तो मुक्ति का अनुभव होता है। तो जब कोई व्यक्ति पहले पहले मुक्त होता होगा, तो शायद क्षण भर को मुक्ति का अनुभव होता हो, लेकिन फिर तो पता चलता है कैसी मुक्ति, कैसा बंधन? दोनों गये। बंधन के साथ मुक्ति भी गयी। जानी ही चाहिए। दुख के साथ सुख भी गया। जाना ही चाहिए। अशांति के साथ शांति भी गयी। जाना ही चाहिए। अब तो जो बचा- गंतदवंदवस्य मे सदा-अब तो वही बचा जो वंद्व के अतीत है।
'धर्माधर्मरहित मुझको कहां प्रारब्धकर्म हैं, अथवा कहां जीवन मुक्ति है और कहां वह विदेह कैवल्य ही है!'
क्व प्रारव्यानि कर्माणि जीवनमुक्तिरपि क्व वा। क्व तदविदेह कैवल्य निर्विशेषस्य सर्वदा।। 'मैं तो निर्विशेष हूं.....।' निर्विशेषस्य सर्वदा! जनक कहते हैं, मेरे ऊपर अब कोई विशेषण नहीं लगता। निर्विशेषस्य सर्वदा।
न तो हिंदू न मुसलमान, न ईसाई; न ब्राह्मण, न शूद्र; न स्त्री, न पुरुष; न जानी, न अज्ञानी; न बंद, न मुक्त, मुझ पर कोई विशेषण नहीं लगता। अब तो मैं बस हूं। होना शुद्ध है, सीमा के पार है। होना परिभाषा के बाहर है। अब मुझ पर कोई परिभाषा नहीं लगती।
निर्विशेषस्य सर्वदा।
इस निर्विशेष शब्द को समझना, इसके दो अर्थ हैं। एक तो विशेषणरहित, कि अब कोई भी विशेषण सार्थक नहीं रहा। ज्यादा क्या कहें -जनक कहते हैं-इतना ही कहना काफी है कि कोई विशेषण अब मुझ पर नहीं लगता। न छोटा, न बड़ा; न धनी, न गरीब, न त्यागी, न भोगी; न कर्ता, न अकर्ता, कोई विशेषण नहीं लगता, एक बात। और निर्विशेषस्य का एक और अर्थ है कि अब मैं जरा भी विशिष्ट नहीं। वह बात भी खयाल में लेना। अब मैं कोई खास आदमी नहीं हूं। अब मैं जरा भी विशिष्ट नहीं।
विशिष्ट होने का मोह तो अहंकार का ही मोह है। हमारे सबके मन की इच्छा एक ही रहती है कि मैं विशिष्ट, मैं कुछ खास। हम हजार तरह से जीवन में एक ही तो उपाय करते हैं कि किसी तरह सिद्ध हो जाए कि मैं कुछ विशिष्ट, मैं कोई साधारण आदमी नहीं हूं, मैं असाधारण हूं। कोई धन कमाकर सिद्ध करता है कि मैं असाधारण हूं -कोई रॉकफेलर, कोई मार्गन, कोई एन्डू कारनेगी सिद्ध करता है कि मैं विशिष्ट हूं देखो कितना मेरे पास धन है तुम्हारे पास क्या है? कोई सिद्ध करता है बड़ा पंडित होकर कि मैं चारों वेदों का ज्ञाता, देखो। तुम्हारे पास क्या है? कोई सिद्ध करता बड़ा त्यागी होकर कि देखो, मैंने धन-दौलत छोड़ दी, मकान छोड़ दिया, पत्नी-बच्चे छोड़ दिये, देखो नग्न खड़ा