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आखिरी प्रश्न :
आपसे मिलकर लगता है कि जिसकी सदा से खोज थी, वह मिल गया है।
क्या हमारा और आपका पिछले जन्मों का कुछ संबंध है?
और अब कुछ करने को भी नहीं सूझता है।
फिर बुद्धि में तरह-तरह के भय भी सिर उठाते हैं कि कहीं आप चले तो न जाएंगे, बिछुड़ तो न जाएंगे?
अब सिद्धांतो में सिर मत मारो कि पहले कभी मिलना हुआ था कि नहीं हुआ था अगर अभी मिलना हो गया है, तो इस मिलन का पूरा स्वाद ले लो। अब इन गुत्थियों को मत
सुलझाओ कि पहले मिलना हुआ था कि नहीं हुआ था इसमें समय भी खराब मत करो। पहले का क्या मूल्य है? मगर मन ऐसा ही सोचता है. पहले मिलना हुआ था कि नहीं ? और यह भी सोचता है कि आगे कहीं बिछुड़ना तो नहीं हो जाएगा? भविष्य और अतीत में ही डोलता रहता है। अभी मैं यहां, तुम यहां, थोड़ी देर को हम उस मस्ती में डूब जाएं जो अस्तित्व की मस्ती है, जो मैं तुम्हें देना चाहता हूं। थोड़ी देर को अतीत और भविष्य भूलो। थोड़ी देर को इसी क्षण को सब कुछ हो जाने दो।
जुनूं के मशरबे - रंगी को इख्तियार करो खिरद के जामा - ए - कोहना को तार-तार करो मिले हैं रूठे हुए दोस्त गर्मजोशी से सलोनी रुत के लिए शुक्रे - कर्दगार करो
जुनू के मशरबे - रंगी को इख्तियार करो
जिंदगी का जो मदमाता, मस्त उन्माद, रंगों से भरा हुआ तोर-तरीका है. ।
जुनू के मशरबेरंगी को इख्तियार करो
यह जो फूलों, पक्षियों की गुनगुनाहट का झरनों के शोर का, समुद्र की लहरों का, आकाश
के चांद-तारों का जो उन्मत्त उत्सव है, जीवन का यह जो ढंग है, इसे इख्तियार करो ।
जुनूं के मशरबे - ली को इख्तियार करो
खिरद के जामा-ए-कोहना को तार-तार करो
यह बुद्धि की बकवास को तोड़ो, तार-तार उखाड़ कर अलग कर दो।
खिरद के जामा-ए-कोहना को तार-तार करो
मिले हैं रूठे हुए दोस्त गर्मजोशी से