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ठीक-ठीक व्यक्ति अगर जीए तो रोज-रोज अपने अतीत से मुक्त होता जाता है। अतीत की धूल को चित्त के दर्पण पर जमने मत दो, नहीं तो दर्पण में दर्पणपन न रह जाएगा। धूल ही धूल जम जाएगी। धूल को झाड़ दो, ताकि दर्पण स्वच्छ हो जाए। उसी स्वच्छ दर्पण में तो सत्य का प्रतिबिंब मिलने वाला है।
आदत टूटती नहीं, तुम कहते हो। आदत को समझो बजाय तोड़ने की चेष्टा के। कोई आदत तोड़ने से नहीं टूटती है, समझने से टूटती है। कोई सिगरेट पीता है, वह कहता है, आदत छोड़नी है। आदत छोड़ने का सवाल नहीं है, यह समझो कि यह व्यर्थ है। इसे पहचानो। इस पर ध्यान करो। मेरे पास कोई आता है सिगरेट पीने वाला, वह कहता है, छोड़नी है, बहुत कोशिश कर चुका बीस साल हो गये, कई दफे छोड़ी भी, एकाध दिन, दो दिन बहुत खींच पाता हूं फिर नहीं होता और वह दो दिन इतने कष्ट में बीतते हैं कि फिर ऐसा लगता है कि इतने कष्ट में जीने का तो कोई सार ही नहीं है। इससे तो पी ही लो। चलो ठीक है, टी. बी होगी, कैंसर होगा, जब होगा होगा, अभी तो कोई हुआ नहीं जा रहा है।
तो मैं उनसे कहता हूं तुम छोड़ने की चेष्टा मत करो कोई आदत छोड़ने से नहीं छूटती, तुम आदत को समझो। मैं उनसे कहता हूं, जब तुम सिगरेट पीओ तो बड़े ध्यानपूर्वक पीओ। जल्दबाजी न करो, बहुत आहिस्ता से पैकेट से निकालो, एक दफे ठोंकते हो तो सात दफे ठोंको उसे माचिस की डिब्बी पर, और बड़े धीरे - धीरे ठोंकों, बड़े रस लेकर ठोंको, इसे पूजा का कृत्य समझो, इसे जल्दी मत करो। फिर आहिस्ता से मुंह पर लगाओ, आईना रखकर बैठो, उसमें देखो क्या कर रहे हो, फिर माचिस जलाओ, फिर धीरे-धीरे धुंआ खींचो, फिर देखो भीतर कि क्या हो रहा है-धुंआ भीतर ले गये, आनंद आ रहा है कि नहीं आ रहा है, सच्चिदानंद की बरसा हो रही है कि नहीं हो रही है। इसको पहचानने की कोशिश करो। आदत छोड़ने का क्या सवाल है! कहां मजा आ रहा है, किस वक्त मजा आता है, धुंआ कहां होता है तब कुंडलिनी जागती है, कब सहस्त्रदल कमल खिलते हैं, कब, कहां हृदय के द्वार में गुदगुदी होती है, जरा देखते रहो। फिर धुएं को बाहर निकालो, दर्पण में देखो और सोचो। दिन में तीन दफे पीते हो, छ: दफे पीओ। और छ: दफे यह पूरा का पूरा उपक्रम करो
तुम धीरे - धीरे पाओगे कि तुम्हें अपनी मूढ़ता दिखायी पड़ने लगी। तुम बहुत जड़बुद्धि मालूम पडोगे। यह तुम कर क्या रहे हो? और तुम यह भी बड़े चकित होकर हैरान होओगे कि आनंद कहीं भी मिलता नहीं, किसी स्थिति में नहीं मिलता। न ओंठ पर लगाने से, न धुएं को भीतर लेने से। कभी-कभी खासी जरूर आती है, कभी-कभी आंख में आंसू भी आ जाते हैं, कभी-कभी कफ और बलगम पैदा होता है और तो कुछ होता नहीं। इसे तुम देखो।
__ तुम्हारी गड़बड़ क्या है? तुम इसे छोड़ना चाहते हो! क्योंकि कोई कहता है टी. बी हो जाएगी, क्योंकि कोई कहता है कैंसर हो जाएगा। कैंसर और टी बी होने के डर से तुम नहीं छोड़ने वाले हो। अमरीका में उन्होंने पैकेट पर लिखना शुरू कर दिया कि सरकार ने तय किया है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकर है। पहले तो लोगों ने सोचा कि इसको डिब्बे पर लिखेंगे सिगरेट के तो